बता दें कि वर्ष 2017 में सेंट्रल बैन ऑफ इंडिया समेत कई ऐसे बैंक जो खराब वित्तीय हालत से गुजर रहे थे उन्हें आरबीआई के प्रॉम्पट करेक्टिव एक्शन (PCA) की लिस्ट में डाल दिया था। पीसीए के तहत एक बैंक को नियामक द्वारा अधिक जांच का सामना करना पड़ता है और उधार और जमा प्रतिबंध, शाखा विस्तार और किराए पर लेने से रोक और उधार पर अन्य लिमिटेशन का सामना करना पड़ता है।
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वर्ष 2018 में आरबीआई के PCA फ्रेमवर्क के तहत 12 बैंकों को रखा गया था जिसमें केवल एक निजी बैंक शामिल था। PCA फ्रेमवर्क में रखे गए कई बैंक तो लिस्ट से बाहर आ गए लेकिन सेंट्रल बैंक के वित्तीय हालात में सुधार नहीं हुआ।ऐसे में सेंट्रल बैंक को अपनी 13 फीसदी शाखाओं को बंद करने पर विचार किया जा रहा है। सेंट्रल बैंक को उम्मीद है कि इस निर्णय के बाद बैंक की वित्तीय हालत में सुधार आएगी।