ज ब भी कोई सामान खरीदें उसके साथ बिल जरूर लेना चाहिए। यदि ज्वेलरी खरीदी है तो बिल पर वजन के साथ गुणवत्ता का विवरण जरूर होना चाहिए। सोना या हीरे की ज्वेलरी खरीदते समय उस पर हॉलमार्क जरूर देखें। खरीदने के बाद भी उसकी
किसी लेबोरेट्री से हीरे और सोने की जांच करवा सकते हैं ताकि उसमें किस गुणवत्ता के हीरे या अन्य कीमती रत्न लगाए गए हैं इसकी जानकारी मिल सकती है।
किसी लेबोरेट्री से हीरे और सोने की जांच करवा सकते हैं ताकि उसमें किस गुणवत्ता के हीरे या अन्य कीमती रत्न लगाए गए हैं इसकी जानकारी मिल सकती है।
इसी के साथ उसमें कितने कैरेट सोना है इसकी सत्यता सामने आ सकती है। यहां पर यदि किसी तरह का अंतर आता है तो आप दुकानदार के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला करवा सकते हैं। इसी के साथ जिला उपभोक्ता संरक्षण आयोग में शिकायत दर्ज करवाकर हर्जाना भी मांग सकते हैं।
बता दें कि ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (BIS) गोल्ड ज्वेलरी में हॉलमार्किंग करता है। यह ग्राहकों को दिए जाने वाली गोल्ड की क्वालिटी को निर्धारित करता है। किसी ज्वेलरी पर हॉलमार्किंग होने का मतलब है कि गोल्ड की शुद्धता सर्टिफाइड है। इसके
तहत हॉलमार्क लोगो और सेंटर का नाम, ज्वेलरी के बनने का साल और गोल्ड कैरेट जैसी चीजें लिखी होती हैं।
-संदीप लुहाडिय़ा, एडवोकेट
तहत हॉलमार्क लोगो और सेंटर का नाम, ज्वेलरी के बनने का साल और गोल्ड कैरेट जैसी चीजें लिखी होती हैं।
-संदीप लुहाडिय़ा, एडवोकेट