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Agri Export Trend: ग्लोबल मार्केट में किसानों ने दिखाया दम, निर्यात के मामले में टॉप 10 में दर्ज कराया देश का नाम

 
डब्लूटीओ के 25 साल के एग्री एक्सपोर्ट ट्रेंड ( agri export trend ) के अनुसार भारत चावल, कॉटन, सोयाबीन और मीट के निर्यात में दुनिया के शीर्ष देशों में शामिल हो गया है।

Jul 25, 2021 / 09:19 pm

Dhirendra

नई दिल्ली। साल 2019 में लोकसभा चुनाव और कोरोना महामारी के बीच देश के किसानों के ग्लोबल मार्केट में अपना दम दिखाया है। देश के किसानों में दम पर भारत 2019 में कृषि उत्पादों का निर्यात करने वाले टॉप 10 देशों में शामिल हो गया है। इस बात का खुलासा विश्व व्यापार संगठन ( WTO ) के 25 साल के एग्री एक्सपोर्ट ट्रेंड ( Agri Export Trend ) रिपोर्ट से हुआ हैं।
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भारत नौवें नंबर पर

भारत चावल, कॉटन, सोयाबीन और मीट के एक्सपोर्ट में दुनिया के शीर्ष देशों में शामिल हो गया है। 2019 में दुनिया के कुल कृषि उत्पाद निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 3.1 फीसदी रही। मैक्सिको की 3.4 फीसदी निर्यात के साथ सातवें स्थान पर मलयेशिया की जगह ले ली जबकि भारत ने 9वें स्थान पर रहे न्यूजीलैंड की जगह ली। चीन 1995 में छठे नंबर पर था लेकिन 2019 में यह चौथे नंबर पर पहुंच गया।
इंडिया ने चावल निर्यात में थाईलैंड को पीछे छोड़ा

1995 में थाईलैंड चावल का निर्यात करने वाला सबसे बड़ा देश था। दुनिया के कुल चावल निर्यात में उसकी हिस्सेदारी 38 फीसदी थी। भारत की हिस्सेदारी 26 और अमरीका की 19 फीसदी थी। लेकिन 2019 में भारत ने चावल निर्यात में थाईलैंड को पछाड़ दिया है। दुनिया के कुल चावल निर्यात में भारत की हिस्सेदारी बढ़ कर 33 फीसदी हो गई। थाईलैंड 20 फीसदी पर सिमट गया। भारत 2019 में कॉटन निर्यात करने वाला तीसरा बड़ा देश था। कुल कॉटन निर्यात में इसकी हिस्सेदारी 7.6 फीसदी थी लेकिन यह चौथा बड़ा कॉटन आयातक भी रहा। दुनिया के कुल सोयाबीन निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 0.1 फीसदी है। सोयाबीन निर्यात करने वाले सबसे बड़े देशों में यह नौवें नंबर पर हैं।
मीट और खाने योग्य मीट पीस के निर्यात में यह दुनिया में आठवें नंबर पर है। इसमें इसकी हिस्सेदारी ग्लोबल ट्रेड का चार फीसदी है। 1995 में गेहूं के निर्यात में भारत दुनिया में सातवें नंबर पर था लेकिन 2019 में यह टॉप 10 में जगह बनाने में नाकाम रहा।
वैल्यू एडेड प्रोडक्ट

भारत भले ही कुछ एग्री कमोडिटी के निर्यात में बढ़त बनाने में सफल रहा है लेकिन वैल्यू एडेड उत्पादों के निर्यात में यह पिछड़ रहा है। विदेश में बेचे जाने वाले कृषि उत्पादों के वैल्यू एडेड प्रोडक्ट के निर्यात में भारत की हिस्सेदारी सिर्फ 3.8 फीसदी है। दरअसल कृषि उत्पादों के आयात पर शुल्क ज्यादा होने से यहां से वैल्यू एडेड प्रोडक्ट का निर्यात कम हो रहा है।
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