ये है पूरा मामला
दरअसल, केरपानी गांव में आदिवासी समाज के शांतिलाल बडोले के घर में ईसाई मिशनरी द्वारा धर्मानतरण का कार्यक्रम चल रहा था। शांतिलाल के घर में कुछ लोग बीमार थे जिसे ठीक करने का दावा करते हुए उनका धर्मानतरण किया था। शांतिलाल के घर में बड़ा पंडाल लगा हुआ था जहां ईसाई धर्म की प्रार्थना चल रही थी और उनके गीत गाये जा रहे थे। इस बात का पता जब बजरंग दल के सदस्य बलिराम किरोड़े को चला तो वह शांतिलाल के घर पंहुचा और कार्यक्रम को रुकवाना चाहा। हैरानी की बात यह थी कि उन्होंने बलिराम को भी ईसाई धर्म में आने का लालच दिया और कहा आदिवासी हिंदू धर्म में नहीं आते है और ईसाई धर्म को अपनाने से सारी बीमारियां खत्म हो जाती है।इसके बाद बलिराम ने अपने अन्य दोस्तों एवं बजरंग दल कार्यकर्ताओं के साथ धर्मांतरण रुकवाने को लेकर हंगामा किया और पुलिस से कानूनी कार्रवाई करने का आवेदन किया।
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