बुरहानपुर

जिस दिन बुरहानपुर आने वाले थे किशोर कुमार उसी दिन हुआ निधन

-किशोर दा की असीरगढ़ आने की इच्छा रही अधूरीकिशोर दा की पुण्यतिथि पर विशेष–बड़े भाई अशोक कुमार का जन्मदिन और किशोर दा की पुण्यतिथि एक ही दिन

बुरहानपुरOct 12, 2017 / 10:41 pm

ranjeet pardeshi

Kishore Kumar died on the same day that Burhanpur was about to die

मनीष विद्यार्थी, बुरहानपुर. शहर में एक विशाल कार्यक्रम की प्रस्तुति पूरे परिवार के साथ करने और ं लता मंगेशकर को भी साथ लाने का कार्यक्रम बुरहानपुर के लिए बना था, उसी दिन किशोर कुमार का निधन हो गया। किशोर कुमार की खास इच्छा असीरगढ़ किला घूमने की थी जो अधूरी रह गई। उनकी पुण्यतिथि पर पत्रिका ने उनके बालसखा के बेटे शैलेंद्र चौरसिया से जाने किशोर दा की जिंदगी के कुछ अनसुने किस्से।
चौरसिया ने बताया कि उनके परिवार का किशोर दा के परिवार से बेहद नजदिकी और पुराना ताल्लुक रहा है। चौरसिया के पिता रामअवतार चौरसिया और किशोर दा सहपाठी रहे हैं। खंडवा की गलियों में दोनों का बचपन साथ ही बीता है। प्राथमिक शाला से लेकर किशोर दा के कॉलेज पहुंचने तक दोनों ने साथ में बचपन के सुनहरें पलों को जीया। इसके बाद किशोर दा इंदौर के क्रिश्चियन कॉलेज चले गए और चौरसिया परिवार बुरहानपुर आ गया। इसके बाद १९८२ में खंडवा की तापडिय़ा जिनिंग में एक कार्यक्रम की प्रस्तुति देने के लिए परिवार सहित पहुंचे किशोर दा के परिवार और चौरसिया परिवार की मुलाकात हुई। जिसमें किशोर दा, उनकी पत्नी लीना चंदावरकर, बड़ा बेटा अमित कुमार, भांजा देव मुखर्जी और किशोर दा के बालसखा रामअवतार चौरसिया, उनकी पत्नी कमलादेवी, उनका बड़ा बेटा दीपक, सूर्य, शैलेंद्र, बड़ी बेटी महालक्ष्मी और छोटी बेटी उमा चौरसिया ने खूब गपशप की और बचपन के किस्सों को साझा किया।
किशोर दा बोले- राम तेरे बुरहानपुर आऊंगा
इसी दौरान किशोर दा ने चौरसिया से कहा था कि राम तेरे बुरहानपुर में आकर एक शानदार कार्यक्रम करूंगा और उसमें लता को भी लेकर आऊंगा। इसके लिए उन्होंने अपने अगले खंडवा प्रवास के दौरान परम मित्र रामअवतार चौरसिया को १३ अक्टूबर १९८७ की तारीख तय की थी। इसे भी महज इत्तेफाक ही कहा जा सकता है कि उसी तारीख को किशोर दा का देहांत हो गया और इस तरह किशोर दा की बुरहानपुर में कार्यक्रम करने और असीरगढ़ का किला घुमने की इच्छा अधूरी रह गई। यह बात राम अवतार के बेटे शैलेंद्र ने पत्रिका से विशेष बातचीत में कही।
 किशोर दा खंडवा के अपने पैत्रक निवास गौरी कुुंज पर अपने मित्र रामअवतार चौरसिया के परिवार के साथ।

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