बुरहानपुर

29 साल से घर में किया दस हजार हिंदी किताबों का संग्रह

1987 से किताबें संग्रहित करना शुरू किया. आज घर में 10000 किताबों में जैन दर्शन, बोध दर्शन, हिंदी साहित्य, शोध प्रबंध हिंदी की किताबें हैं। 

बुरहानपुरSep 14, 2017 / 01:02 pm

ranjeet pardeshi

Hindi Diwas

बुरहानपुर. किसी ने सच ही कहा है कि किताबें एक इंसान की सबसे अच्छी मित्र होती हैं और अगर किताबों से अपनी दोस्ती को और गहरा करना है तो इसके लिए लाइब्रेरी से अच्छी कोई दूसरी जगह हो ही नहीं सकती। एक लाइब्रेरी में आपको हर तरह की और हर विषय से सम्बंधित किताबें मिल जाएगी। आज हम आपको किताबों से प्रेम करने वाले एक व्यक्ति से रूबरू करवाने जा रहे हैं, जिन्होंने 29 साल में 10 हजार से अधिक किताबें अपने घर में संग्रहित कर ली। हम बात कर रहे इंदिरा कॉलोनी निवासी और सेवा सदन कॉलेज में हिंदी विभाग के अध्यक्ष डॉक्टर सुरेंद्र जैन भारती की। जब घर में कपड़े खरीदने की अलमारी की जरूरत होने लगी तो उन्होंने इसे न लेते हुए पहले किताबे रखने के लिए जगह बनाई। 1987 से किताबें संग्रहित करना शुरू किया, जो आज घर की सभी दीवार किताबों से पट गई। जैन कहते हैं कि आज उनके घर में दस हजारों किताबों में जैन दर्शन, बोध दर्शन, हिंदी साहित्य, शोध प्रबंध हिंदी की किताबें है। 21 पुस्तक ऐसी हैं, जो उन्होंने खुद लिखी है। घर की यह लायब्रेरी खुद के साथ क्षेत्र के लिए भी है, कोईभी व्यक्ति यहां आकर पढऩे के लिए किताब ले जा सकता है। अब आगे उनका बड़ी रूप में पुस्तकालय खोलने की योजना है।किताबें रखने का शौक और हिंदी से प्यार उन्हें उनके पिता सिंघई भागचंद जैन से मिला, जो खुद भी ङ्क्षहदी के प्रेमी थे।डॉक्टर जैन को हिंदी को बढ़ावा देने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार तक मिल चुके हैं।
हिंदी के पतन के लिए सरकार जिम्मेदार
हिंदी के विद्वान डॉक्टर जैन ने कहा कि हिंदी भाषा पतन के लिए सरकार जिम्मेदार है।मतदान से लेकर शपथ तक हिंदी भाषा की प्रक्रिया में होता है, जैसे की नेता कुर्सीपर बैठते हैं पूरी प्रक्रिया अंग्रेजी में शुरू हो जाती है। उन्होंने सरकार की एफडीआईनीति के बारे में कहा कि इससे अंग्रेजी को देश में और बढ़ावा मिलेगा। लोग अंग्रेजी भाषा में ढल जाते हैं, जबकि चीन, जापान, फ्रांस, रूस यह ऐसे विकसित राष्ट्रीय है, जिन पर अंग्रेजी की मानसिकता नहीं है, यह आज भी खुद की भाषा चलाते हैं।
 

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