धरोहर का रासायनिक धुलाई व लेपन करने से धीर-धीरे काला ताजमहल भूरे रंग में दिखाई देने लगा है। इसकी रंगत निखरने लगी है। विभाग का कहना है कि शाहनवाज खां का मकबरा, असीरगढ़ पर प्राचीन शिव मंदिर और राजा की छतरी का प्रस्ताव बनाकर भेजा था। पहले मंदिर पर केमिकल से सफाई हो चुकी है। अब मकबरे पर काम किया जा रहा है। राजा की छतरी की स्वीकृति आते ही इस पर भी काम होगा। लोगों का कहना है कि धरोहरों के सरंक्षण करने से इनकी खूबसूरती में निखार आने के साथ ही इनका जीवन भी बढ़ जाएगा। पुरातत्व विभाग को जिले की समस्त ऐतिहासिक धरोहरों का जीर्णोद्धार करने की दिशा में कदम उठाना चाहिए ताकि ऐतिहासिक धरोहरे आने वाली पीढिय़ों के लिए संरक्षित रह सकें।
पहुंच मार्ग भी जर्जर
शाहनवाज खां के मकबरा तक पहुंचना आसान नहीं है। आजाद नगर काला बाग क्षेत्र में स्थित अनोखी धरोहर को देखना आसान नहीं है। यहां का पहुंच मार्ग बहुत जर्जर है। उबड़ खाबड़ रोड से निकलना मुश्किल है।
जम चुकी है काई
काला ताजमहल पर काई व गंदगी जमने से धरोहर धूलधूसरित हो चुकी थी। लंबे समय से उपेक्षा का दंश झेल रही इस धरोहर की भारतीय पुरातत्व एवं सर्वेक्षण विभाग ने सुध ली है और इसमें रसायन विभाग भोपाल द्वारा काला ताजमहल में रासायनिक लेप किया जा रहा है। लेप के लिए पूरी धरोहर पर मचान तानकर काम किया जा रहा है। विभाग के सहायक संरक्षक सुभाष कुमार के मुताबिक रसायन विभाग भोपाल की टीम एवं अधिकारी यहां पर आए हैं। उनकी देखरेख में धरोहर का केमिकल वॉश और लेप चढ़ाकर इसे संरक्षित किया जा रहा है। धरोहर पर जमी धूल की मोटी परत, काई, पक्षियों की बीट एवं अन्य गंदगी की पूरी तरह से सफाई होगी।