जानकारी अनुसार बाघिन ने अपने शेष बचे दो मादा शावकों के साथ अधिकतर रामगढ़ महलों और मेज नदी किनारे के जंगल को ही अपनी टेरेटरी बना रखी थी। बाघिन व उसका एक शावक करीब एक माह से कैमरा ट्रेप में नहीं आ रहे थे। लंबे समय से बाघिन का मूवमेंट नहीं होने से वन विभाग ने तीन चार दिन से विशेष सर्च ऑपरेशन चलाया, जिस पर सोमवार देर शाम को कोर क्षेत्र के बांद्रा पोल इलाके के गोरधन पहाड़ में रेडियो कॉलर नजर आया तथा पास जाकर देखने पर बाघिन की हड्डियां मिली। हालांकि बाघिन के नाखून व दांत सहित सभी अंग हड्डियों के रूप में मौजूद थे। बाघिन के कंकाल का बूंदी स्थित उपवन संरक्षक कार्यालय में तीन पशु चिकित्सकों की टीम ने पोस्टमार्टम कर जांच के लिए नमूने लिए। इस दौरान कोटा के मुख्य वन संरक्षक एवं रामगढ़ के फील्ड डायरेक्टर रामकरण खैरवा सहित पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी मौजूद रहे।