बूंदी

धान से अटी मण्डी, 60 हजार बोरी की हुई आवक

कुंवारती मंडी में अब धीरे-धीरे धान कटाई के बाद मंडी में धान की आवक बढ़ने लगी है।

बूंदीOct 22, 2024 / 05:39 pm

पंकज जोशी

रामगंजबालाजी. कुंवारती कृषि उपज मंडी में सोमवार को बिकने आए धान के लगे ढेर।

रामगंजबालाजी. कुंवारती मंडी में अब धीरे-धीरे धान कटाई के बाद मंडी में धान की आवक बढ़ने लगी है। सोमवार को यहां 60 हजार बोरी करीब धान की आवक होने के बाद मंडी के तीनों खुले प्लेटफार्म पर धान के ढेर नजर आए। किसान इन दिनों धान को काटकर कर मंडी में बेचने के लिए ला रहे हैं। कई किसानों के पास धान के भंडारण के लिए जगह नहीं होने के चलते सीधा खेतों से धान की फसल को तैयार करके मंडी में बेचने ला रहे हैं। किसानों की माने तो इस बार धान उत्पादन अच्छी बरसात होने के चलते ठीक रहा।लेकिन अभी वर्तमान में किसानों के सामने धान कटाई को लेकर श्रमिकों का टोटा होने के चलते धान कटाई के लिए कंबाइन मशीन उसका सहारा लेना पड़ रहा है।कंबाइन मशीन में कटाई करवाने से किसानों को चारे का नुकसान उठाना पड़ रहा है।
नहीं आई पटरी पर व्यवस्था
वहीं कृषि उपज मंडी में धीरे-धीरे धान की आवक बढ़ने के बाद भी मंडी प्रशासन द्वारा अभी मंडी के प्लेटफार्म को खाली करना उचित नहीं समझा जा रहा। सोमवार को भी मंडी के तीसरे प्लेटफार्म पर कई किसानों व व्यापारियों की मक्का फैली होने के चलते किसानों को अपने धान की ट्रॉलियां खाली करने के लिए कई घंटों इंतजार करना पड़ा। इस मामले को लेकर कहीं बार आढ़तिया संघ द्वारा मंडी कमेटी को प्लेटफार्म पर व्यवस्था सुधारने की हिदायत देने के बाद भी मंडी कमेटी के कर्मचारियों की नींद नहीं उड़ रही।
अच्छी बरसात से धान की ओर बढ़ा रूझान
देई.
क्षेत्र मे पिछले पांच वर्ष से जारी अच्छी बरसात ने उड़द, सोयाबीन की खेती करने वाले किसानों का रूझान धान की ओर खींच लिया है। बारिश से सोयाबीन के बीज नहीं उगने व उडद की फसल के अतिवृष्टि मे गलने के कारण किसान धान की फसल करने लगे है। जिसके कारण धीरे धीरे क्षेत्र मे धान का रकबा बढ रहा है। क्षेत्र अधिकांशत सूखे की चपेट मे रहने व नहरी क्षेत्र नहीं होने से कम पानी की फसले किसानों द्वारा की जाती थी। लेकिन अच्छी बरसात के बाद जलस्तर में सुधार होने से किसानों ने धान की फसल करना शुरू किया है।
कृषि पर्यवेक्षक आशाराम नागर ने बताया कि सहायक कृषि अधिकारी कार्यालय देई क्षेत्र में 700 हैक्टेयर मे धान की फसल बुवाई हुई है, जिसमें पीपल्या में 500 हैक्टेयर, जैतपुर मे 190 हैक्टेयर मे धान की बुवाई हुई है। इसके अलावा फुलेता, देई व मोडसा में धान की बुवाई है। देई क्षेत्र के अलावा सहण में भी धान की फसल किसानों द्वारा बडे पैमाने पर की जा रही है। देई निवासी किसान फोरूलाल नागर ने बताया कि खेत में सोयाबीन की बुवाई की लेकिन अतिवृष्टि से पानी भरने से सोयाबीन का बीज अंकुरित नहीं हुआ। धान की रोपाई की जिससे अच्छा उत्पादन मिला। पीपल्या निवासी किसान मोनू सैनी ने बताया कि खेत में पानी भरने की समस्या रहती है जिसके कारण सोयाबीन, उडद की फसल नहीं होती है।
धान की फसल को बेचने की सबसे बडी चुनौती है देई कृषि उपज मंडी मे धान की फसल नहीं बिकती है इसलिए फसल को बेचने के लिए बूंदी मंडी मे जाना पडता है। अगर धान की फसल देई मंडी मे बिकनी शुरू होती है तो धान का रकबा बढेगा। कृषि उपज मंडी देई व्यापार मंडल महामंत्री लोकेश जिन्दल ने बताया कि बूंदी में चावल मिल होने से धान के अच्छे दाम मिलते है जिससे दूर दूर से धान बिकने आता है। सहायक कृषि अधिकारी देई परसराम मीना ने बताया कि उड़द की फसल के गलने के कारण किसान अब धान की फसल करने लगे है।

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