जानकारी के अनुसार काफी समस्या हिंडोली चिकित्सालय में विशेषज्ञ चिकित्सकों का अभाव होने के कारण गंभीर रोगी आने पर उन्हें बूंदी या कोटा रैफर कर देते हैं। यह सिलसिला काफी समय से जारी है।
गत 2 वर्ष पूर्व राज्य सरकार ने हिंडोली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का विस्तार कर 30 से 50 बेड स्वीकृत कर दिया, लेकिन वर्तमान में यहां पर मात्र 30 बेड संचालित हो रहे हैं। ऐसे में यहां पर आने वाले रोगियों को जगह नहीं मिलने पर उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। यहां पर दो साल पहले यहां पर विशेषज्ञ चिकित्सक थे, लेकिन उनको यहां से स्थानांतरित कर दिया गया। अब अस्पताल में एक भी विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं है, जिससे मरीजो को बूंदी,कोटा, देवली जाना पड़ रहा है। यहां पर सीनियर और जूनियर नर्सिंग कर्मी के पद भी खाली पड़े हैं। यहां पर लैब में सीनियर लैब असिस्टेंट लबे समय से अवकाश पर है।
बाइक से अटा रहता है परिसर
चिकित्सालय में आने वाले रोगी बाइक लेकर यहां आते हैं,जो बाइकों को चिकित्सालय परिसर में खड़ा कर देते हैं, जिससे दिन के समय यहां पर बाइक अट जाने से के कारण रोगियों को निकलने में भी परेशानी होती हैं। कई बार तो 108 एंबुलेंस तक नहीं पहुंच पाती है।
चिकित्सालय में आने वाले रोगी बाइक लेकर यहां आते हैं,जो बाइकों को चिकित्सालय परिसर में खड़ा कर देते हैं, जिससे दिन के समय यहां पर बाइक अट जाने से के कारण रोगियों को निकलने में भी परेशानी होती हैं। कई बार तो 108 एंबुलेंस तक नहीं पहुंच पाती है।
घायलों को कर देते हैं बूंदी रेफर
कस्बा राष्ट्रीय राजमार्ग 52 व 148डी 90 किलोमीटर तक सीमा है। यहां पर आता है ऐसे में यहां पर आए दिन सड़क दुर्घटना होती रहती है,जिससे घायलों को 108 एंबुलेंस से सीधे चिकित्सालय लाते हैं, लेकिन यहां पर रात को कई बार चिकित्सकों की कमी के चलते उन्हें सीधे बूंदी भिजवा दिया जाता है, जिससे रास्ते में घायलों की जान खतरे में हो जाती हैं। लोगों का कहना है कि यहां पर ट्रोमा चिकित्सक खुलने के बाद ही घायलों की जान बच सकती है। गत 3 वर्ष पूर्व हिण्डोली में ट्रोमा चिकित्सालय खुला था, लेकिन उसे अन्यत्र स्थानांतरित कर दिया गया।
कस्बा राष्ट्रीय राजमार्ग 52 व 148डी 90 किलोमीटर तक सीमा है। यहां पर आता है ऐसे में यहां पर आए दिन सड़क दुर्घटना होती रहती है,जिससे घायलों को 108 एंबुलेंस से सीधे चिकित्सालय लाते हैं, लेकिन यहां पर रात को कई बार चिकित्सकों की कमी के चलते उन्हें सीधे बूंदी भिजवा दिया जाता है, जिससे रास्ते में घायलों की जान खतरे में हो जाती हैं। लोगों का कहना है कि यहां पर ट्रोमा चिकित्सक खुलने के बाद ही घायलों की जान बच सकती है। गत 3 वर्ष पूर्व हिण्डोली में ट्रोमा चिकित्सालय खुला था, लेकिन उसे अन्यत्र स्थानांतरित कर दिया गया।
कई बार करवा चुके अवगत
स्टाफ की कमी है, जिसके लिए हर बार मासिक बैठक में अवगत कराया जाता है। कई बार उच्च अधिकारियों को लिखा जा चुका है।
रमेश कुशवाहा, चिकित्सालय प्रभारी हिण्डोली।
स्टाफ की कमी है, जिसके लिए हर बार मासिक बैठक में अवगत कराया जाता है। कई बार उच्च अधिकारियों को लिखा जा चुका है।
रमेश कुशवाहा, चिकित्सालय प्रभारी हिण्डोली।