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पत्रिका संवाददाता ने जब शहर के बाजारों में पंतगों की दुकानों पर जाकर पड़ताल की तो खुद दुकानदारों ने बताया कि जिले में कई दुकानदार चाइनीज मांझा चोरी छूपे बेच रहें है। व्यापारियों ने बताया कि चाइनीज मांझे पर रोक लगी है। इस कारण इसका नाम बदलकर बेचा जा रहा है। व्यापारी कम दाम व देशी मांझे की अपेक्षा सस्ता होने की बात कहकर इस मांझे को बेचने में ज्यादा रूचि दिखा रहे हैं।
मांझे से हर साल होते हैं हादसे
मांझों में उलझकर अक्सर लोग ही नही बेजुबान भी घायल हो रहें है। इस मांझे के उपयोग से पतंग उड़ाने वाले बच्चों की अंगुलियां तक कट जाती है। वहीं पतंग लूटने वाले बच्चे, वाहन सवार व पक्षी तक इस मांझे के कारण हादसे के शिकार हो जाते हैं। गत वर्ष भी शहर में इस मांझे के कारण कई बच्चे व लोग जख्मी हुए। पतंग कटने के बाद मांझा पेड़ों और तारों आदि जगहों पर लटके रहते हैं। इसकी वजह से भी हादसे होते हैं।
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पतंग कारोबारी बताते हैं चाइनीज मांझे में प्लास्टिक होता है। इस वजह से यह आसानी से टूटती नहीं। इसमें धार भी होती है, जिसके कारण पतंग उड़ाते समय यह लोगों की हथेली पर जख्म कर देता है। दरअसल पतंग उड़ाने के लिए जो मांझे बाजारों में मौजूद हैं, वे सभी घातक हैं, लेकिन चाइनीज इनमें सबसे खतरनाक साबित होता है। पतंग कारोबारी बताते हैं कि देशी मांझे के मुकाबले चाइनीज मांझा बेहद सस्ता और मजबूत होता है।
बेजुबानों के लिए आफत–
पतंगबाजी के बाद इधर उधर बिखरे मांझा से सबसे अधिक आफत पक्षियों की आ जाती है। सैकड़ों पक्षी चाइनीज मांझे की वजह से या तो घायल हो जाते हैं या उनको अपनी जान गंवानी पड़ती है। मांझो में फंसकर पक्षीयों के घायल होने की सुचना आए दिन अब सामने आने लगी है। पक्षी प्रेमी शिवशंकर, आकाश और भुपेन्द्र शर्मा व विकास सुमन ने बताया कि चायनीज मांझे से पक्षी घायल हो रहे है। एक दिन पहने ही मांझे में उलझकर बगुला फंस गया काफी कोशिश करने के बाद भी मांझे से नही निकल पाया जिससे उसके पंखों से खून निकलने लगा सभी ने मिलकर मांझे से फंसे बगुलों को बचाने की कोशिश की।