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बूंदी तहसील के होलासपुरा गांव में मेज नदी की सहायक नदी मांगली, डूंगरी व गणेशीनाला पर बना बांध 15 अगस्त 2010 कच्ची मिट्टी की तरह ढह गया था। बांध का करीब १०० फीट ऊंचा एवं ३५० फीट चौड़ा हिस्सा पानी के साथ बह गया था। केंद्रीय जल आयोग की मंजूरी के बाद अबके बांध की पुरानी मिट्टी को हटाकर दुबारा ग्राफ्टिंग शुरू की गई है।
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बांध की अंदर की सतह पर हॉल लगाकर सीमेंट भरा जा रहा है। जिसकी गहराई करीबन पांच मीटर रखी गई है। वहीं तीन-तीन मीटर की चौड़ाई पर हॉल लगाकर सीमेंट भरा गया है। बांध के अंतिम छोर के हिस्से पर पीचिंग का कार्य शुरू किया गया है। बांध के पुनर्निर्माण के लिए केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) ने नई डिजाइन जारी की थी।
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जानकार सूत्रों ने बताया कि बांध के निर्माण में रेत का भी उपयोग होगा। बांध के पुनर्निर्माण का काम फरवरी २०२० तक पूरा हो जाएगा।परियोजना पर सरकार अब तक डेढ़ अरब से अधिक खर्च कर चुकी है।
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फिल्म का कर रहे उपयोग
बांध में इस बार मिट्टी बिछाने के बाद कपड़े की फिल्म का उपयोग कर रहे हैं। निर्माण कम्पनी के अभियंताओं ने बताया कि राजस्थान में पहली बार किसी बांध के निर्माण में इस फिल्म का उपयोग किया गया है। जिसे जीओ टेक्सटाइल्स के नाम से जाना जाता है। यह पानी को छानने का काम करती है। बांध में पानी के दबाव के दौरान भी दीवारें सुरक्षित रहेंगी।
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दीवार पर दिखेंगी सीढिय़ां
बांध निर्माण कार्य में इस बार नया प्रयोग किया है। नई डिजाइन के अनुसार बांध के दोनों सिरे पर स्लेप बनाई जा रही है। बाद में इन स्लेप पर फिर से मिट्टी डाली जाएगी। इससे दीवार और मजबूर होंगी। यह सीढिय़ों से दिखाई पड़ेंगी।
इन गांवों को ‘आस’
गरड़दा बांध की 38.72 किमी लंबी बायीं मुख्य नहर से गोपालपुरा, उलेड़ा, खूनेटिया, सीन्ती, रामनगर, खेरुणा, कांटी, उमरथूना, भवानीपुरा उर्फ बांगामाता, मंगाल, तीखाबरड़ा, श्रीनगर, रूपनगर, गरनारा, भीम का खेड़ा, हजारी भैरू की झोपडिय़ां, लाखा की झोंपडिय़ा, सिलोर कलां, हट्टीपुरा, कांजरी सिलोर, बलस्वा, रघुवीरपुरा, अस्तोली, रायता, उमरच, दौलतपुरा, रामगंज बालाजी, छत्रपुरा व देवपुरा तथा १४.७९ किमी लंबी दायीं मुख्य नहर से लोईचा, सुंदरपुरा, श्यामू, हरिपुरा, श्रवण की झोंपडिय़ा, मालीपुरा, भैरूपुरा, मण्डावरा, होलासपुरा, बांकी, अनूपपुरा, मण्डावरी, पाकलपुरिया व प्रेमपुरा गांव को सिंचाई के लिए बांध के पानी की आस है
रंग लाई ‘पत्रिका’ की मुहीम
गरड़दा बांध के मुद्दे को ‘राजस्थान पत्रिका’ ने प्रमुखता से उठाया। सिलसिलेवार प्रकाशित खबरों को लोगों ने बूंदी आए जनप्रतिनिधियों और जनप्रतिनिधियों ने सरकार के समक्ष रखा। सरकार के लिए कोई रास्ता नहीं छोड़ा। आखिर बूंदी की जीत हुई और बांध का पुनर्निर्माण शुरू हो गया।
अधिशासी अभियंता (परियोजना खंड), जलसंसाधन विभाग के हेमंत शर्मा ने बताया कि गरड़दा बांध के पुनर्निर्माण ने जोर पकड़ लिया। निर्माण पर पूरी निगरानी रख रहे हैं। पिछले दिनों केंद्रीय जल आयोग नई दिल्ली की टीम ने भी निरीक्षण किया था। उम्मीद है काम समय पर पूरा कर लिया जाएगा।