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वन विभाग के कर्मचारियों केे साथ अब ग्रामीण भी करेंगे वनों की सुरक्षा

राज्य में वन एवं वन्यजीवों की सुरक्षा एवं संरक्षण में वैधानिक रूप से कार्य कर रही वन सुरक्षा एवं प्रबंध तथा पारिस्थितिकी विकास समितियों का नए सिरे से गठन शुरू हो गया है।

बूंदीDec 15, 2024 / 08:40 pm

पंकज जोशी

गुढ़ानाथावतान। रामगढ विषधारी टाइगर रिजर्व के बफर जोन की वन सुरक्षा समितियों के प्रशिक्षण कार्यक्रम में उपस्थित ग्रामीण।

बूंदी. गुढ़ानाथावतान. राज्य में वन एवं वन्यजीवों की सुरक्षा एवं संरक्षण में वैधानिक रूप से कार्य कर रही वन सुरक्षा एवं प्रबंध तथा पारिस्थितिकी विकास समितियों का नए सिरे से गठन शुरू हो गया है। राज्य सरकार ने इसके लिए वन विभाग को आदेश जारी कर सभी समितियों का राज्य रजिस्ट्रार कार्यालयों में पंजीकरण कराने का आदेश दिया है।
समितियों को नवीन प्रक्रिया के तहत पुनर्गठित करने का काम वन विभाग ने शुरू कर दिया है। प्रक्रिया के तहत जिले में भी वन विभाग ने समितियों की बैठकें आहूत कर गठन की कार्यवाही शुरू कर दी है। वन सुरक्षा समितियों का गठन वनों की सुरक्षा और प्रबंधन के लिए जंगल के आसपास बसे लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है। वन सुरक्षा समितियों को पेड़ लगाने, चेक डेम बनाने, वन्यजीव संरक्षण और वन क्षेत्रों की घेराबंदी करने के लिए राशि दी जाती है।
ग्रामीण ही होंगे समिति के पदाधिकारी
नए निर्देशानुसार वन सुरक्षा के लिए बनी इन समितियों के सभी पदों पर ग्रामीणों की ही नियुक्ति की जाएगी। पूर्व में इन समितियों में सचिव का पद संबंधित क्षेत्र के वनपाल के पास होता था। अब सचिव भी ग्रामीणों में से ही बनाए जा रहे हैं। वनकर्मी समिति में सदस्य के रूप में मॉनिटरिंग करेंगे। समिति में सचिव व कोषाध्यक्ष के लिए 12 वीं कक्षा पास होना भी अनिवार्य रखा गया है।
जिले में 178 वन सुरक्षा समितियां कार्यरत
वर्तमान में रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व व वनमंडल के अधीन जिले में 178 वन सुरक्षा समितियां पंजीकृत है, इनमें से 106 समितियां ही सक्रिय रूप से कार्य कर रही है। रामगढ विषधारी में 38 पारिस्थितिकी विकास समितियां बनी हुई है। जबकि वन मंडल में 140 समितियां है। सभी का अब नए सिरे से गठन किया जा रहा है।
अप्रेल से करेगी समिति काम
वनों की सुरक्षा के लिए लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए राजस्थान वन अधिनियम 2023 के तहत समितियों का पुनर्गठन किया जा रहा है। नवीन समितियों में वनों एवं वन्यजीवों की सुरक्षा का पूरा प्रबंधन ग्रामीणों के जिमे किया गया है। ये नई समितियां तत्काल प्रभाव से प्रभावी हो गई है तथा अगले साल 1 अप्रेल से सारा काम इनके द्वारा ही करवाया जाएगा।
नए निर्देशों के तहत रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व सहित जिले में सभी समितियों का सहकारिता अधिनियम के तहत पंजीकरण कराया जा रहा है तथा अब नए काम इन्ही समितियों के माध्यम से कराए जाएंगे।
संजीव शर्मा, उपवन संरक्षक एवं उपक्षेत्र निदेशक रामगढ विषधारी टाइगर रिजर्व, बूंदी

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