बूंदी

किसानों के निवाले से गुड़ व छाछ गायब, सब्जी भी पानी जैसी

कुंवारती कृषि उपज मंडी में संचालित किसान कलेवा योजना में तहत दिए जाने वाले भोजन नहीं दिया जा रहा है। ऐसे में संवेदक प्रतिदिन सैकड़ों रुपए हजम कर रहा है, वहीं किसानों को तय मीनू के अनुसार भोजन नहीं मिल पा रहा है।

बूंदीNov 24, 2024 / 12:04 pm

Narendra Agarwal

किसान को परोसी गई थाली

बूंदी. कुंवारती कृषि उपज मंडी में संचालित किसान कलेवा योजना में तहत दिए जाने वाले भोजन नहीं दिया जा रहा है। ऐसे में संवेदक प्रतिदिन सैकड़ों रुपए हजम कर रहा है, वहीं किसानों को तय मीनू के अनुसार भोजन नहीं मिल पा रहा है।
किसान कलेवा योजना के तहत कुंवारती कृषि उपज मंडी में केंटीन संचालित की जा रही है, जो सुबह दस से शाम चार बजे तक खोली जाती है। इसके तहत किसानों को कूपन देकर टोकन नम्बर दिया जाता है। इसके बाद पांच रुपए देने पर किसानों को भोजन थाली दी जा रही है। संवेदक को प्रति थाली चालीस रुपए का भुगतान किया जा रहा है। इसमें 35 रुपए मंडी समिति द्वारा अनुदान दिया जाता है। तय मीनू के अनुसार प्रति थाली ढाई सौ ग्राम की आठ रोटी, सवा सौ ग्राम दाल (एक कटोरी), सवा सौ को ग्राम सब्जी मौसम के अनुसार एवं अक्टूबर से मार्च तक पचास ग्राम गुड़ व अप्रेल से सितम्बर तक 200 मिलीलीटर छाछ देना है, लेकिन स्थिति इसके उलट है। यहां तय मीनू के अनुसार भोजन नहीं मिल रहा है एवं केंटिन में कहीं भी मीनू चार्ट नहीं लगा रखा है।
ना संवेदक आ रहा, ना मंडी अधिकारी
केंटिन में खाना बनाने में जुटे कार्मिक ने बताया कि वह कई वर्षो से यहां खाना बना रहे है, लेकिन उन्होंने संवेदक को नहीं देखा है, उन्हें पगार सही समय पर मिल जाता है। इसके अलावा कौन आ रहा है कौन नहीं आ रहा इससे उन्हें कोई मतलब नहीं है। वहीं बीते छह माह में मंडी सचिव या बाबू आदि कोई भी केंटिन में निरीक्षण में करने नहीं आया है।
जांच के लिए टीम है गठित
योजना में पारदर्शिता, भोजन में गुणवत्ता व व्यवस्थाओं की समय समय पर जांच के लिए स्थायी कमेटी भी गठित है, जिसमें अध्यक्ष कृषि उपज मंडी समिति, अध्यक्ष व्यापार मंडल व सचिव कृषि उपज मंडी समिति शामिल है।
दो सौ ग्राम आटे की आठ रोटियां
तय मीनू के अनुसार ढाई सौ ग्राम आटे की आठ रोटिया भोजन थाली में दी जानी है। जबकि कैंटिन में दी जाने वाली आठ रोटियों का वजन एक सौ अस्सी से 200 के बीच ही आ रहा है। वहीं रोटियों की सिकाई इस तरह की जा रही है कि किसान पेट भरने से पहले ही थाली छोड़ कर चला जाता है। यहां भी संवेदक की ओर से किसानों को भरपेट भोजन नहीं दिया जा रहा है। मौके पर कोई शिकायत रजिस्टर भी नहीं है। ऐसे में कोई शिकायत भी नहीं कर पाता है।
इनका कहना है
किसानों द्वारा गुड़ मांगे जाने पर दिया जा रहा है। मीनू चार्ट लगाया जाएगा। कुछ रोटियां जल जाती है, लेकिन किसानों को नहीं देते है। सब्जियों की गुणवत्ता सही है। रोटियों का कभी वजन नहीं किया।
रमेश चंद, संवेदक कार्मिक
केंटिन में अनियमितता की शिकायत मिली है। संवेदक को तलब किया गया है। शिकायत सही मिलने पर भुगतान में से राशि काटी जाएगी। तय मीनू के अनुसार ही किसानों को भोजन देना होगा और चार्ट भी लगाना पड़ेगा। समय-समय पर निरीक्षण के लिए कर्मचारी की डयूटी लगाई जाएगी।
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