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ऐसे होती है खेती
मल्चिंग पद्धति से सब्जियों की पैदावार करने के लिए किसानों को पहले खेत तैयार करना पड़ता है। फि र मल्चिंग खेतों में लगाई जाती है। मल्चिंग के ब्लॉक में सब्जी की पौध लगाई जाती है। वहीं सोलर पंप से पाइपलाइन डाल कर ड्रिप से बूंद-बूंद सिंचाई की जाती है। मल्चिंग से खेत में खरपतवार नहीं होती है तथा पौधे में नमी बनी रहती है। जमीन में मल्चिंग से पोषक तत्वों का विकास होता है, जिससे सब्जियों के पौधे में अधिक पैदावार होती है। मल्चिंग पद्धति से खेती में उधान विभाग की ओर से किसानों को अनुदान दिया जाता है।
मौन हो रही सुर ताल की जुगलबंदी
मिल रहा फायदा
बड़ानयागांव के किसान तेजमल कुमावत, रामदेव सैनी, दुर्गालाल मीणा ने बताया कि मल्चिंग पद्धति से मिर्ची व टमाटर की फ सल कर रहे हैं। पानी की बचत के साथ सब्जियों की पैदावार भी पहले से ज्यादा हो रही है। कृषि अधिकारी राजेश शर्मा ने बताया कि बड़ानया गांव क्षेत्र में किसान मल्चिंग पद्धति से सब्जियों की खेती कर रहे है। इस पद्धति से किसानों को सब्जियों की कम लागत में अधिक पैदावार मिल रही है।