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ऑनलाइन फ्रॉड कॉल आए तो घबराएं नहीं, पुलिस को बताएं, मदद मांगे

ऑनलाइन फ्रॉड का शिकार होने पर बच्चों को घबराना नहीं चाहिए। तत्काल पुलिस की मदद लेकर बदमाशों को सबक सिखाना चाहिए। ऑनलाइन ठगी करने वाले पहले थोड़ा-सा पैसा देकर लालच के जाल में फंसाते हैं, फिर लोग ज्यादा की चाह में बड़ी ठगी का शिकार बन जाते हैं।

बूंदीDec 20, 2024 / 05:08 pm

Narendra Agarwal

करवर. कस्बे में आयोजित गोष्ठी में साइबर ठगी से बचाव के बारे जानकारी देते हुए।

करवर. ऑनलाइन फ्रॉड का शिकार होने पर बच्चों को घबराना नहीं चाहिए। तत्काल पुलिस की मदद लेकर बदमाशों को सबक सिखाना चाहिए। ऑनलाइन ठगी करने वाले पहले थोड़ा-सा पैसा देकर लालच के जाल में फंसाते हैं, फिर लोग ज्यादा की चाह में बड़ी ठगी का शिकार बन जाते हैं।
यह बात करवर थाना एएसआई दशरथ सिंह ने साइबर अपराध के खिलाफ पत्रिका सुरक्षा कवच अभियान के तहत करवर पुलिस थाना पर आयोजित गोष्ठी में कही। उन्होंने जालसाजों द्वारा ऑनलाइन ठगी के लिए बिछाए जाने वाले जाल के बारे में बताया। साथ ही इनसे बचने के लिए उपाय भी बताए। साइबर एक्सपर्ट कांस्टेबल विजय कुलदीप ने ऑनलाइन शॉङ्क्षपग के दौरान ठगी के लिए उपयोग होने वाले पैतरों से बचाव के बारे में बताया।
इंटरनेट के माध्यम से होने वाले फ्रॉड को पहचानने के लिए तकनीकी जानकारियां प्रदान की। उन्होंने बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) ने साइबर ठगी के नए तरीकों को जन्म दिया है। इसके जरिए अब ठग आपकी आवाज में रिश्तेदार या दोस्तों को कॉल करते हैं व उनसे पैसे की मांग करते हैं। ऐसे में डरे नहीं ओर डटकर सामना करे। साइबर फ्रॉड होने पर तुरंत हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करें। साइबर क्राइम वेबसाइट पर अपनी रिपोर्ट दर्ज करवाएं। नजदीकी पुलिस स्टेशन जाएं।
इस दौरान कजोड़ी लाल प्रजापति, व्यवसायी लोकेश गर्ग, रफीक मुगल, उपसरपंच पंकज दाधीच, गजेंद्र नागर, विद्युतकर्मी रामावतार नागर, छैल बिहारी मंगल, नितेश गौतम, मनमोहन शर्मा, रविराज जैन, आशीष गोयल, महावीर जांगिड, आशीष मित्तल, ऋषिराज बडगुर्जर, शरीफ मोहम्मद, ललित सोनी सहित कई युवा व थाना स्टाफ मौजूद रहा।

बच्चें और युवा सोशल मीडिया पर सक्रिय होते हैं। उनके द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर समय बिताया जाता है। ऐसे में माता पिता को साइबर सुरक्षा के बारे में जानकारी लेकर खुद और परिवार को अलर्ट करना चाहिए। अपने भीतर से डर निकालकर किसी भी तरह के ऑनलाइन फ्रॉड का शिकार होने पर पुलिस को सूचना देना चाहिए।
बृज गोपाल दीक्षित, पीइइओ, करवर
डिजिटल अरेस्ट का शिकार अधिकांश पढ़ा-लिखा बन रहा है। इंटरनेट पर उपलब्ध डाटा से लोगों की जानकारी जुटा लेते हैं। कई बार ऑनलाइन सामान बुलाने पर ठग कस्टमर को कॉल कर उनके द्वारा ड्रग्स अन्य अवैध पदार्थ सप्लाई करने के आरोप लगाते है, फिर वीडियो कॉल कर डिजिटल अरेस्ट का जाल बुनते हैं। इनसे बचने के लिए जालसाजों के तरीकों को बारीकी से समझना जरूरी है। जल्दबाजी में उन्हें पैसा ट्रांसफर करने से बचना चाहिए।
गणेश प्रसाद साहू व मनीष नागर
किसी भी मोबाइल एप को चालू करने पर तीन तरह की परमिशन मांगी जाती है। अधिकांश लोग असुरक्षित प्लेटफॉर्म से एप डाउनलोड कर लेते हैं। उनके द्वारा गैलरी, माइक्राफोन, कैमरे से जुड़ी जानकारी के लिए परमिशन मांगी जाती है। लोग अनजाने में इसे एक्सेप्ट कर लेते हैं, जिससे उनके मोबाइल से निजी जीवन की पूरी जानकारी सामने बैठे ठगों तक पहुंच जाती है। इससे बचना जरूरी है।
नीरज नागर, वार्डपंच
मोबाइल हैङ्क्षकग, यूआरएल, वेबसाइट विजिट, बैंक फ्रॉड, ओटीपी, पिनकोड, सीवीवी, टॉस्क बेस्ड फ्रॉड, लोन ऐप, डिजिटल, वर्चुअल नंबर सहित अन्य ङ्क्षबदुओं पर लोगो को जागरूक किया। साथ ही ऐसे साइबर अपराधों से बचने के लिए टोल फ्री नंबर 1930 पर कॉल कर सूचना देना चाहिए। साइबर ठगी का शिकार होने पर फ्रीज बैंक खाते या होल्ड राशि को वापस प्राप्त करने के बारे में जानकारी दी।
प्रदीप मीणा, बैंक अधिकारी
इंटरनेट उपयोग व सोशल मीडिया के उपयोग से कैसे हमारी निजी जानकारी दूसरों के हाथों तक जा सकती है। उनसे बचाव के बारे में बताया। ठगी का शिकार होने से बचने के लिए सोशल मीडिया अकाउंट सहित अन्य अकाउंट पर टू स्टेप वेरिफिकेशन सिक्योरिटी को चालू कर लेना चाहिए। जीमेल सहित सभी अकाउंट की पासवर्ड मजबूत होने चाहिए तथा इन्हें बदलते रहना चाहिए।
राकेश जैन, व्यवसायी

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