इसके साथ ही बूंदी के शंभूसागर, फूलसागर, नवल सागर सहित तलवास की रतन सागर, हिंडोली की रामसागर, बूंदी के अभयपुरा वेटलैंड आदि को भी झील संरक्षण के तहत प्रस्तावित करने की संभावनाओं पर विचार विमर्श किया गया। योजना में जलीय पारिस्थितिक तंत्र के साथ झीलों और आर्द्रभूमि के संरक्षण के कार्य करवाए जाएंगे। योजना का मुख्य उद्देश्य एकीकृत और बहु-विषयक दृष्टिकोण के माध्यम से जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार करना है। इसके अलावा योजना से वांछित जल गुणवत्ता वृद्धि प्राप्त करने के लिए झीलों और आर्द्रभूमि का समग्र संरक्षण भी होगा तथा अतिक्रमण व गंदे पानी की समस्या से निजात मिलेगा।
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जिला कलक्टर की अध्यक्षता में बनी समिति
योजना के प्रस्ताव तैयार करने एवं क्रियान्वित के लिए जिला स्तरीय झील विकास समिति का गठन किया गया जिसके अध्यक्ष जिला कलक्टर होंगे। समिति में जिला परिषद आयुक्त सदस्य सचिव तथा मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिला परिषद, उपवन संरक्षक रामगढ विषधारी (कोर), जल संसाधन विभाग के अधिशाषी अभियंता, जिला पर्यटन अधिकारी, जिला मत्स्य अधिकारी, पर्यावरणविद पृथ्वी सिंह राजावत व जल संसाधन विभाग के सेवानिवृत्त सहायक अभियंता कालू लाल मीणा सदस्य बनाए गए हैं। यह भी पढ़ें
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जिले के आधा दर्जन जलस्रोत होंगे विकसित
झील संरक्षण के साथ साथ जिले में आधा दर्जन जलस्रोतों को वेटलैंड एक्ट के तहत विकसित करने का काम भी शुरू हो चुका है। नवल सागर झील पहले ही वेटलैंड सूची में अधिसूचित हो चुकी थी। अब जिले का बरधा बांध, अभयपुरा बांध, रतन सागर झील तलवास, रामसागर हिंडोली व बूंदी की जैतसागर झील वेटलैंड घोषित हो गए है। जिनकी अधिसूचना जारी हो चुकी है। वेटलैंड अधिनियम व झील संरक्षण के प्रावधान लागू होने से जिले की जलीय जैवविविधता का संरक्षण व संवर्धन होगा।