ईआरसीपी परियोजना से बूंदी जिले के बड़े क्षेत्र में पेयजल समस्या का स्थाई समाधान हो सकेगा। पार्वती-कालीसिंध-चंबल नदियों को इंटरलिंक कर पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (पीकेसी- ईआरसीपी) के तहत नौनेरा बांध निर्माण से बूंदी जिलावासियों को पेयजल के रूप में बड़ी सौगात मिली है। जिले में परियोजना के माध्यम से पेयजल उपलब्ध करवाने के लिए आगामी 2 माह में कार्य शुरू हो जाएंगे।
हाड़ौती में पार्वती-कालीसिंध-चंबल पर बने नोनेरा बांध से बूंदी जिले में 713.88 करोड़ की लागत से 3 शहरों सहित 365 गांव और 121 ढाणियों की प्यास बुझेगी। पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (पीकेसी- ईआरसीपी) परियोजना में बूंदी जिले के लिए 22.55 मिलियन क्यूबिक मीटर पेयजल प्रावधान किया गया हैं। इसके लिए टेण्डर की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
पेयजल परियोजना के धरातल पर उतरने के बाद बूंदी जिले के बड़ा हिस्सा सरफेस (सतही) वाटर से जुड़ जाएगा। नोनेरा पेयजल परियोजना से कोटा व बूंदी के 749 गांवों को जोड़ा जाना है, जिसमें बूंदी जिले के 365 गांव शामिल हैं। केशवरायपाटन, बूंदी, तालेड़ा व नैनवां के इन 365 गांवों के साथ 121 ढाणियों को भी नोनेरा बांध से पानी मिलना है। ये गांव बूंदी, केशवरायपाटन, तालेड़ा व नैनवां के हैं। पेयजल परियोजना का सबसे ज्यादा लाभ केशवरायपाटन उपखण्ड क्षेत्र को मिलेगा। इस क्षेत्र में फ्लोराइडयुक्त पानी की समस्या अधिक होने के कारण गांव में विकट हालात रहते हैं।
ऐसे में क्षेत्रवासियों को फ्लोराइडयुक्त पानी की समस्या से भी स्थाई रूप से निजात मिलेगी। इस क्षेत्र के 182 गांवों तथा केशवरायपाटन शहर को परियोजना से जोड़कर शुद्ध पेयजल उपलब्ध करवाया जाएगा। जिले के तीन नगरीय क्षेत्र केशवरायपाटन, लाखेरी व कापरेन को पेयजल परियोजना में शामिल किया गया है। इसके अलावा तालेड़ा उपखंड क्षेत्र के 48, बूंदी के 47, केशवरायपाटन के 182 तथा नैनवां उपखण्ड क्षेत्र के 88 गांवों को पेयजल सुविधा मिलेगी। साथ ही इन क्षेत्रों में बसी 121 ढाणियों को पीने का पानी मिल सकेगा।