जानकारी अनुसार फरवरी, 2023 में रणम्भौर बाघ परियोजना, सवाईमाधोपुर से बाघिन टी-114 की मृत्यु के बाद उसके दो शावक (एक नर व एक मादा) को अभेडा बॉयोलोजिकल पार्क, कोटा में स्थानान्तरित किया गया था। दोनों शावकों को रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व एवं मुकुन्दरा हिल्स टाईगर रिजर्व के संरक्षित क्षेत्र में स्थानान्तरित करने के लिए उप वन संरक्षक (वन्यजीव), कोटा की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया था।
कमेठी की सिफारिश अनुसार दोनों शावकों रिवाङ्क्षल्डग के लिए रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व, एवं मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व में स्थित एन्क्लोजर में छोडऩे का निर्णय लिया गया। केन्द्र सरकार तथा प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक द्वारा एक नर शावक को रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व, में स्थित रामगढ़ महल एन्क्लोजर में स्थानान्तरित करने की अनुमति प्राप्त हो चुकी है, जिसकी पालना में मुख्य वन संरक्षक एवं क्षेत्र निदेशक, मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व, कोटा की अध्यक्षता में गठित कमेटी द्वारा एनटीसीए के प्रोटोकॉल अनुसार एक नर शावक को बुधवार को एन्क्लोजर में स्थानान्तरित किया जाएगा। रिवाङ्क्षल्डग की प्रक्रिया पूर्ण होने पर बाघ को टाइगर रिजर्व के संरक्षित क्षेत्र में रिलीज किया जाएगा।
क्लोजर के पास बनेगा बाड़ा
रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व क्षेत्र के उप वन संरक्षक संजीव शर्मा ने बताया कि करीब डेढ़ सौ किलो के नर शावक के विशेष क्लोजर बनाया गया है। क्लोजर में छोड़े जाने से पहले उसे कॉलरआईडी भी पहनाई जाएगी। अब तक अभेड़ा बॉयोलोजिकल पार्क में रहने के कारण उसे जंगल के अनुरूप ढालने के लिए इंतजाम किए गए है। क्लोजर के पास ही बाड़ा बनाया गया है, जिसमें समय समय पर जानवरों को छोड़ा जाएगा, ताकि नर शावक शिकार करना सीख सके। इसके लिए प्रतिदिन निगरानी भी की जाएगी।
रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व क्षेत्र के उप वन संरक्षक संजीव शर्मा ने बताया कि करीब डेढ़ सौ किलो के नर शावक के विशेष क्लोजर बनाया गया है। क्लोजर में छोड़े जाने से पहले उसे कॉलरआईडी भी पहनाई जाएगी। अब तक अभेड़ा बॉयोलोजिकल पार्क में रहने के कारण उसे जंगल के अनुरूप ढालने के लिए इंतजाम किए गए है। क्लोजर के पास ही बाड़ा बनाया गया है, जिसमें समय समय पर जानवरों को छोड़ा जाएगा, ताकि नर शावक शिकार करना सीख सके। इसके लिए प्रतिदिन निगरानी भी की जाएगी।
रामगढ़ में ऐसे बढ़ा बाघों का कुनबा
टाइगर रिजर्व को 16 मई 2022 में टाइगर रिजर्व का दर्जा हासिल हुआ। आरवीटी-1 नर बाघ (रणथंभौर का टी-115) खुद प्राकृतिक रूप से चलकर जून 2020 में रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व क्षेत्र में आया। वहीं आरवीटी-2 बाघिन (रणथंभौर की टी-102) 16 जुलाई 2022 को रामगढ़ के शॉफ्ट एनक्लोजर में छोड़ी गई। इसे 31 अगस्त 2022 को खुले जंगल में छोड़ा गया था, जिसका गत दिनों कंकाल मिला था। इस बाघिन द्वारा तीन शावक को जन्म दिया गया था, जिसमें से एक जीवित नहीं रहा तथा दो मादा शावक बिना मां जंगल में विचरण कर रही है। आरवीटी-3 बाघिन (रणथंभौर की टी-119) अगस्त 2023 में रामगढ़ में छोड़ी गई। इस बाघिन के भी गत माह शावकों को जन्म देने की जानकारी है लेकिन अभी तक शावकों के फोटो नहीं आए है। गत माह सरिस्का का टाइगर एसटी 2303 रामगढ़ टाइगर रिजर्व लाया गया था, जो अभी बजलिया क्लोजर में है।
टाइगर रिजर्व को 16 मई 2022 में टाइगर रिजर्व का दर्जा हासिल हुआ। आरवीटी-1 नर बाघ (रणथंभौर का टी-115) खुद प्राकृतिक रूप से चलकर जून 2020 में रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व क्षेत्र में आया। वहीं आरवीटी-2 बाघिन (रणथंभौर की टी-102) 16 जुलाई 2022 को रामगढ़ के शॉफ्ट एनक्लोजर में छोड़ी गई। इसे 31 अगस्त 2022 को खुले जंगल में छोड़ा गया था, जिसका गत दिनों कंकाल मिला था। इस बाघिन द्वारा तीन शावक को जन्म दिया गया था, जिसमें से एक जीवित नहीं रहा तथा दो मादा शावक बिना मां जंगल में विचरण कर रही है। आरवीटी-3 बाघिन (रणथंभौर की टी-119) अगस्त 2023 में रामगढ़ में छोड़ी गई। इस बाघिन के भी गत माह शावकों को जन्म देने की जानकारी है लेकिन अभी तक शावकों के फोटो नहीं आए है। गत माह सरिस्का का टाइगर एसटी 2303 रामगढ़ टाइगर रिजर्व लाया गया था, जो अभी बजलिया क्लोजर में है।