कुछ बांधों द्वारा आधी-अधूरी तैयारी के साथ गत दिनों नहरों में पानी भी छोड़ दिया गया, ऐसे में ऊपरी छोर के खेतों में तो पानी पहुंच गया, लेकिन एक माह गुजरने के बाद भी टेल क्षेत्र में अब तक पानी नहीं पहुंच पाया। टेल के माइनर और धोरे सूखे पड़े हुए है। कई स्थानों पर किसान प्रदर्शन भी कर चुके है, लेकिन उनकी सुनवाई तक नहीं हुई, ऐसे में किसान महंगा डीजल खरीद कर खेतों की सिंचाई करने को मजबूर है। कापरेन व नोताड़ा क्षेत्र में टेल क्षेत्र की नहरों में पानी नहीं पहुंचने की समस्या अधिक है।
मौसम की मार ने बढ़ाया दर्द
किसानों ने जैसे तैसे दिनरात एक कर खेतों में फसल तैयार भी कर ली, लेकिन जिले में कापरेन, देई व नैनवां क्षेत्र में हुई अत्यधिक बारिश ने उनका दर्द बढ़ा दिया। धरना प्रदर्शन व अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन देने के बाद नुकसान की गिरदावरी करवाए जाने के आदेश तो हुए, लेकिन जिले में अब तक किसी को मानसून के दौरान हुए नुकसान का मुआवजा नहीं मिला है।
किसानों ने जैसे तैसे दिनरात एक कर खेतों में फसल तैयार भी कर ली, लेकिन जिले में कापरेन, देई व नैनवां क्षेत्र में हुई अत्यधिक बारिश ने उनका दर्द बढ़ा दिया। धरना प्रदर्शन व अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन देने के बाद नुकसान की गिरदावरी करवाए जाने के आदेश तो हुए, लेकिन जिले में अब तक किसी को मानसून के दौरान हुए नुकसान का मुआवजा नहीं मिला है।
फसल संभाले या कतार में लगे कृषि विभाग की ओर से जिले में ढाई लाख हेक्टेयर में बुवाई का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें अभी करीब 25 से 30 प्रतिशत बुवाई होने का अनुमान लगाया है। असके लिए 90 हजार मैट्रिक टन खाद की मांग कई माह पूर्व की जा चुकी है, लेकिन में खाद की आपूर्ति नहीं होने से किसान खेतों को छोड़ कर खेतों में लगने का मजबूर है। जिले में कापरेन, देई, नैनवां, नोताड़ा क्षेत्र में इन दिनों सरसों व गेहूं की बुवाई होने से किसानों को खाद की अधिक जरूरत है, लेकिन आपूर्ति नहीं आने से किसान अन्य जिलों से खाद का जुगाड़ लगा रहे है।
मंडी के गेट पर 48 घंटे इंतजार
कई बाधाओं को पार करके जैसे तैसे किसान उपज तैयार कर बेचने के लिए मंडी ओर से भी ले जाता है तो यहां तंत्र के अधिकारियों की लापरवाही झेलने को मजबूर हो जाता है। यहां दो दिन कतार में लगने के बाद भी किसान उपज नहीं बेच पा रहा है। जिले में कुंवारती मंडी में सीजन के दौरान उपज से भरी ट्रैक्टर ट्रॉलियां व ट्रक अधिकारियों की नाकामी बताने के लिए काफी है, फिर भी जिम्मेदार आंखें मूंदे हुए है।
कई बाधाओं को पार करके जैसे तैसे किसान उपज तैयार कर बेचने के लिए मंडी ओर से भी ले जाता है तो यहां तंत्र के अधिकारियों की लापरवाही झेलने को मजबूर हो जाता है। यहां दो दिन कतार में लगने के बाद भी किसान उपज नहीं बेच पा रहा है। जिले में कुंवारती मंडी में सीजन के दौरान उपज से भरी ट्रैक्टर ट्रॉलियां व ट्रक अधिकारियों की नाकामी बताने के लिए काफी है, फिर भी जिम्मेदार आंखें मूंदे हुए है।
वहीं मंडी में प्रवेश के बाद भी मौसम से उपज की रखा के पुख्ता इंतजाम नहीं है। यहां प्लेटफार्म पर आढ़तियों का कब्जा है। ऐसे में सबकुछ भगवान भरोसे है। वहीं उपज की अधिक आवक होने पर कुंवारती कृषि मंडी व देई मंडी में उपज की खरीद बंद होना आम बात हो गई। कुंवारती कृषि उपज मंडी में उपज की सुरक्षा भगवान भरोसे है। यहां रात्रि में धान सहित अन्य उपज से भरी बोरियां या मोटर साइकिलों की चोरी किसी से छुपी नहीं है। कहने को तो यहां पुलिस चौकी स्वीकृत है, जो कभी अस्तित्व में नहीं आई। कई बार किसानों व आढ़तियों के साथ लूट व नकदी पार होने की वारदात हो चुकी है, जिनका अब तक खुलासा नहीं हो पाया।
नहरों को पानी का इंतजार
हिण्डोली उपखण्ड के सबसे बड़े गुढ़ा बांध की नहरों में आधी-अधूरी तैयारी के साथ देरी से पानी छोड़ दिया गया, जबकि अभियंताओं को पता था कि नहरों की मरम्मत व सफाई नहीं हुई। अबकि बार नहरों की सफाई का जिम्मा मनरेगा पर रहा। अधिकांश स्थानों पर तय समय से मस्टरोल ही जारी नहीं हो पाई। इसका खमियाजा अब किसानों को भुगतना पड़ रहा है। कई स्थानों पर किसानों के सहयोग से मिट्टे के कट्टे रखवाए गए है, ताकि पानी बहे नहीं। वहीं क्षेत्र के बालोद गांव से होकर गुजर रहे डोलर माइनर में क्षमता से अधिक जल प्रवाह होने से माइनर की सुरक्षा दीवार के ऊपर होकर कई किसानों के खेतों में पानी भर गया, जिससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ा है। आश्चर्य की बात यह है कि सूचना पर अभियंता नहीं पहुंचे, ऐसे में नुकसान बचाने के लिए किसानों ने स्वयं के स्तर पर ही मिट्टी डाल खेतों में पानी के बहाव को रोका।
हिण्डोली उपखण्ड के सबसे बड़े गुढ़ा बांध की नहरों में आधी-अधूरी तैयारी के साथ देरी से पानी छोड़ दिया गया, जबकि अभियंताओं को पता था कि नहरों की मरम्मत व सफाई नहीं हुई। अबकि बार नहरों की सफाई का जिम्मा मनरेगा पर रहा। अधिकांश स्थानों पर तय समय से मस्टरोल ही जारी नहीं हो पाई। इसका खमियाजा अब किसानों को भुगतना पड़ रहा है। कई स्थानों पर किसानों के सहयोग से मिट्टे के कट्टे रखवाए गए है, ताकि पानी बहे नहीं। वहीं क्षेत्र के बालोद गांव से होकर गुजर रहे डोलर माइनर में क्षमता से अधिक जल प्रवाह होने से माइनर की सुरक्षा दीवार के ऊपर होकर कई किसानों के खेतों में पानी भर गया, जिससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ा है। आश्चर्य की बात यह है कि सूचना पर अभियंता नहीं पहुंचे, ऐसे में नुकसान बचाने के लिए किसानों ने स्वयं के स्तर पर ही मिट्टी डाल खेतों में पानी के बहाव को रोका।
बीमा के नियमों ने बढ़ाई पीड़ा
फसल बीमा करवाने वाले किसान मानसून में खराबा होने पर अपने आप को ठगा से महसूस कर रहे है। बीमा कम्पनी के अनुसार खेतों में कट कर पड़ी फसलों में नुकसान होने पर तय मापदण्डों के अनुरूप ही मुआवजा राशि जारी की जाएगी, जबकि मानसून के दौरान अधिका बारिश होने पर कापरेन, देई व नैनवां क्षेत्र के दर्जनों गांवों के सैकड़ों हेक्टेयर में फसल पसर गई थी, जिसका कम्पनी की ओर से मुआवजा नहीं दिया जाएगा।
फसल बीमा करवाने वाले किसान मानसून में खराबा होने पर अपने आप को ठगा से महसूस कर रहे है। बीमा कम्पनी के अनुसार खेतों में कट कर पड़ी फसलों में नुकसान होने पर तय मापदण्डों के अनुरूप ही मुआवजा राशि जारी की जाएगी, जबकि मानसून के दौरान अधिका बारिश होने पर कापरेन, देई व नैनवां क्षेत्र के दर्जनों गांवों के सैकड़ों हेक्टेयर में फसल पसर गई थी, जिसका कम्पनी की ओर से मुआवजा नहीं दिया जाएगा।
जिले के लिए 90 हजार मैट्रिक टन खाद की मांग की गई थी, जिस पर 76 हजार 128 टन का आवंटन किया गया है, जिसमें 29 हजार 664 मैट्रिक टन अब तक आ पाई है। खाद की किल्लत के बारे में नियमित रूप से जिला कलक्टर व अन्य अधिकारियों को अवगत कराया जा रहा है। गत वर्ष चुनावी वर्ष होने से पर्याप्त मात्रा में खाद आ गया था। इस बार खाद की किल्लत बनी हुई है।
महेश शर्मा, संयुक्त निदेशक, कृषि विस्तार, बूंदी
महेश शर्मा, संयुक्त निदेशक, कृषि विस्तार, बूंदी
मंडी में सीजन की वजह से कतार लग रही है। नियमित रूप से उपज की खरीद व लदान जारी है। आढ़तियों को प्लेट फार्म खाली करने के लिए नोटिस दिए हुए है। सुरक्षा के लिए कैमरे ठीक करवाए गए है। वहीं होमगार्ड तैनात किए गए है। किसी भी प्रकार की समस्या होने पर किसान व आढ़तिए सम्पर्क कर सकते है।
क्रांतिलाल, सचिव, कृषि उपज मंडी, कुंवारती, बूंदी
क्रांतिलाल, सचिव, कृषि उपज मंडी, कुंवारती, बूंदी
बैराज से पानी का गेज कम मिलने के कारण टेल क्षेत्र में पानी पहुंचने में एक सप्ताह की देरी हो गई है। पानी का गेज कम मिलने के बारे में उच्चाधिकारियों को अवगत करा दिया गया था। नगर में पानी के प्रवाह पर पूरी से निगरानी की जा रही है।
देवेन्द्र अग्रिहोत्री, अधिशासी अभियंता, सीएडी, बूंदी
देवेन्द्र अग्रिहोत्री, अधिशासी अभियंता, सीएडी, बूंदी