बूंदी

300 साल पुराना है चौमुखा बाजार, विस्तार के साथ गहरे होते गए रिश्ते

चौमुखा बाजार छोटीकाशी का सबसे पुराना और रियासत के जमाने का व्यस्तम बाजार है।

बूंदीOct 22, 2024 / 07:37 pm

पंकज जोशी

बूंदी का चौमुखा बाजार का वर्तमान नजारा।

बूंदी. चौमुखा बाजार छोटीकाशी का सबसे पुराना और रियासत के जमाने का व्यस्तम बाजार है। तंग रास्ते का यह बाजार सोने-चांदी के साथ कच्चे सामान के लिए सबसे पसंदीदा है। यहां व्यापारी व ग्राहक के बीच बरसों पुराने अटूट रिश्ते है। समय के साथ इस बाजार में कई परिवर्तन देखने को मिले है। बदलते जमाने व बढ़ती आबादी के साथ बाजार ने भी नया स्वरुप ले लिया। पहले यहां गिनी चुनी चीजों का ही व्यापार हुआ करता था।
अब इसकी संख्या बहुत हो गई है। व्यापारी रामकल्याण बील्या बताते है कि चौमुखा बाजार करीब 300 साल पुराना बाजार है। पहले इस बाजार में 80 से100 दुकानें हुआ करती थी, लेकिन धीरे-धीरे विस्तार होने के साथ आज करीब 300 से 400 दुकानें संचालित है। इस बाजार में हर प्रकार की वस्तुएं उपलब्ध है। पहले यह बाजार शाम 6 बजे बंद हो जाया करता था। अब यहां रात 9 बजे तक दुकानें खुली रहती है। बील्या बताते है कि पहले रंग बिरंगे कपड़े नहीं हुआ करते थे। लोग सफेद कपड़े का गठ्ठर लेकर उसमें रंगों से डिजाइन करवाया करते थे।
चार दरवाजे हुआ करते थे
रियासतकाल में इस बाजार में चार दरवाजे हुआ करते थे। उस समय दरवाजों पर लोगों की जांच पड़ताल और एंट्री हुआ करती थी। पहले बूंदी की आबादी करीब 25 हजार थी।
उस समाय बाजार में यातायात का दबाव भी नहीं रहता था। इक्का दुक्का लोग ही व्यापार करते थे। आबादी बढ़ने के साथ यातायात का दबाब भी चार गुणा बढ़ गया। अतिक्रमण के कारण बाजार सिकुड़ता चला गया। व्यापारी जगदीश लढ्ढा व मंयक जैन बताते है कि पुराने समय में त्योहार व सावे के समय ही बाजार चहल पहल रहती थी। अब सालभर कारोबार चलता है।
दिवाली की चहल पहल
दीपावली की खरीदारी के चलते बाजार में इन दिनों खासी चहल पहल है। व्यापारी जोनू बील्या, गौरव भड़कत्या व नितिन सोनी ने बताया कि इस बाजार से होते हुए अन्य बाजारों की तंग गलियों में हर प्रकार का व्यापार है। यहां महिलाओं से लेकर पुरुष व बच्चें अपनी जरूरत का सामान खरीदते है। त्योहार के समय तो इस बाजार में वाहनों का निकलना दूभर हो जाता है।

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