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वकालत में करियर: युवाओं में वकालत का क्रेज, हर साल बढ़ रहे आवेदन

बूंदी में सरकारी लॉ कालेज शुरू होने के बाद यहां के युवाओं में भी वकालात का क्रेज बढ़ने लगा है। लॉ कालेज में दाखिले के लिए हर साल आवेदनों की संख्या में इजाफा हो रहा है।

बूंदीAug 31, 2024 / 02:32 pm

Alfiya Khan

बूंदी। बूंदी में सरकारी लॉ कालेज शुरू होने के बाद यहां के युवाओं में भी वकालात का क्रेज बढ़ने लगा है। लॉ कालेज में दाखिले के लिए हर साल आवेदनों की संख्या में इजाफा हो रहा है। यहां इस बार सीटों की तुलना में चार गुना ज्यादा आवेदन आए है। वर्तमान में लॉ कॉलेज में 320 छात्र-छात्राएं पढ़ाई कर रहे है।
लॉ कॉलेज में चार साल में आवेदनों की संख्या बढ़कर 481 तक पहुंच गई, लेकिन कॉलेज में सीमित सीट होने के कारण प्रति वर्ष 120 छात्र-छात्राओं को ही प्रवेश मिल पा रहा है। बूंदी के अलावा यहां कोटा, बारां व झालावाड़ तक के बच्चे यहां पढ़ाई के लिए आ रहे हैं। इस वर्ष राजकीय विधि महाविद्यालय में तीनों वर्ष में कुल नामांकन 320 हैं।

47 साल पहले खुला था

राजकीय महाविद्यालय बूंदी के पूर्व प्राचार्य जे.के.जैन ने बताया कि बूंदी में लॉ की पढ़ाई 1977 से है। पहले यह राजकीय महाविद्यालय में ही एक विभाग के तौर पर स्थापित था। इसके बाद बार कौंसिल के नियम अनुसार 2006 से लॉ कालेज स्वतंत्र रूप से कार्य कर रहा है। यह कालेज पहले बूंदी के ही राजकीय महाविद्यालय परिसर में संचालित था।
सत्र 2020-2021 में नया भवन बनने के बाद लॉ कालेज उसमें स्थानान्तरित हो गया। कालेज में वर्तमान में आठ शैक्षणिक पद स्वीकृत है। जिनमें प्राचार्य सहित तीन सहायक आचार्य के पद खाली चल रहे है। इसमें से एक को प्रतिनियुक्ति पर लगा रखा है, वहीं मूट कोर्ट नही होने से भी महाविद्यालय में बच्चों को वैकल्पिक मूट कोर्ट का निर्माण कर ही अभ्यास करना पड़ रहा हैं।
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तब रुक गई थी मान्यता

लॉ कालेज में व्याख्याताओं व अन्य संसाधनों की कमी के चलते बार कौंसिल ने मान्यता नहीं दी थी। ऐसे में वर्ष 2009-2010 में इसकी पढ़ाई बंद हो गई। इसके बाद वर्ष 2016-2017 में कालेज में प्रवेश प्रक्रिया शुरू की गई, लेकिन सत्र 2017-2018 में मान्यता नहीं मिलने पर एक बार फिर प्रवेश बंद कर दिया गया। लेकिन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के हस्तक्षेप के बाद सत्र 2019-2020 में मान्यता मिल गई। मान्यता के बाद छात्रों को निरंतर हर वर्ष प्रवेश दिया जा रहा हैं।

महाविद्यालय का अस्तित्व आ गया था खतरे में

सत्र 2006 में बार कौंसिल ऑफ इंडिया के मापदंडों के आधार पर कालेज में कुछ कमियां थी। इस कारण कौंसिल ने बूंदी कॉलेज को मान्यता देने से मना कर दिया था, तब कॉलेज के अस्तित्व को बचाए रखने के लिए 5 अप्रैल 2006 को एक प्रतिनिधिमंडल जयपुर में तत्कालीन शिक्षामंत्री वासुदेव देवनानी से मिला। देवनानी के निर्देश के बाद यहां विधि संकाय में सीटों की संख्या 60 से बढ़ाकर 80 कर दी।

फैक्ट फाइल

वर्ष आवेदकों की संख्या

2020-21 269

2021-22 274

2022-23 268

2023-24 481

आधारभूत सुविधाओं में बढ़ोतरी कर सीटें बढ़वाने का प्रयास

वर्तमान में युवाओं का रुझान विधि व्यवसाय की ओर बढ़ रहा है। कालेज में हर वर्ष आवेदन पत्रों की संख्या बढ़ रही है,लेकिन बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने कालेज में 120 सीट ही स्वीकृत कर रखी है। कालेज में आगामी वर्ष में आधारभूत सुविधाओं में बढ़ोतरी कर सीटें बढ़वाने का प्रयास किया जाएगा। देवेश पाठक, प्राचार्य विधि महाविद्यालय बूंदी
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