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ढाई सौ वर्ष पहले स्थापित हुए थे शंभू की मंडी महादेव

सावन का महिना शुरू हो गया, मौसम ने अपनी फिजा चहुंओर बिखेरनी शुरू कर दी। बूंदी से करीब 50 किलोमीटर की दूर लाखेरी रोड पर डांगाहेडी चौराहा से पांच किमी कि पर स्थित हैं शंभू की मंडी महादेव।

बूंदीAug 01, 2021 / 07:59 pm

पंकज जोशी

ढाई सौ वर्ष पहले स्थापित हुए थे शंभू की मंडी महादेव

ढाई सौ वर्ष पहले स्थापित हुए थे शंभू की मंडी महादेव
गांव से एक किमी का रास्ता अब भी कच्चा
मंदिर को जीर्णोद्धार की दरकार
नोताडा. सावन का महिना शुरू हो गया, मौसम ने अपनी फिजा चहुंओर बिखेरनी शुरू कर दी। बूंदी से करीब 50 किलोमीटर की दूर लाखेरी रोड पर डांगाहेडी चौराहा से पांच किमी कि पर स्थित हैं शंभू की मंडी महादेव। श्रावण मास में कुंड में स्नान के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है। क्षेत्र के लोग छुट्टी के दिन यहां पर कुंड में स्नान के लिए आते हैं।
जानकारी के अनुसार यह स्थान 200 से 250 वर्ष पुराना बताया। रैबारपुरा निवासी 65 वर्षीय मूलचन्द रैबारी ने बताया कि यह स्थान ढाई सौ वर्ष पुराना है। इसकी स्थापना वीरभान रैबारी ने करवाई थी। यहां से 5 किमी की दूरी पर अरावली पर्वतमाला पर अभी भी धूना व चिमटा लगा हुआ है। उन्होंने बताया कि पूर्वजों के कहे अनुसार वीरभान रैबारी को भगवान ने यहां पर स्थापित करने के लिए स्वप्न दर्शन दिए थे। कहा जाता है कि इसके बाद उन्होंने यहां स्थापना करवाकर छतरी का निर्माण करवाया था। यहां पर बना शिव मंदिर पत्थर और चूने की बनावट का है, जो जगह-जगह से क्षतिग्रस्त हो रहा है।
गर्मी में भी नहीं सूखता पानी
यहां की एक विशेष मान्यता यह भी बताई जाती है कि यहां जो कुंड बना हुआ है उसका पानी कभी नहीं सूखता। जब अकाल पड़ा था तब कुओं, बावडिय़ों में भी पानी रीत गया था, लेकिन कुंड में पानी भरा रहा। यहां का कुंड प्राकृतिक हैं।
श्रद्धालुओं का कहना
पच्चीपला के शैतान सिंह हाड़ा, नोताडा के रामलाल मीणा, बृजमोहन साहू ने बताया कि यहां पर डांगाहेडी से सडक़ निर्माण होना चाहिए। धर्मशाला का निर्माण होना चाहिए, ताकि बारिश के दिनों में यात्रियों को परेशानी नहीं हों। शैतान सिंह ने बताया यहां पौधारोपण किया गया था, अब इन पौधों की देखरेख कर रहे हैं।

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