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खण्डहर में तब्दील होता जा रहा महल

पत्थर से आवाज नहीं आती, लेकिन सदियों बाद भी बोलते हैं। अपने समय का इतिहास व संस्कृति आपके सामने लाकर रख देते हैं। ऐसी एक प्राचीन धरोहर कस्बे के बीच में अपने अतीत की यादों के सहारे अपने दिन गिन रहीं हैं, जिसे ग्रामीण महल के नाम से जानते हैं।

बूंदीAug 13, 2021 / 07:09 pm

पंकज जोशी

खण्डहर में तब्दील होता जा रहा महल

खण्डहर में तब्दील होता जा रहा महल
कस्बे की सबसे पुरानी विरासत
बड़ाखेड़ा. पत्थर से आवाज नहीं आती, लेकिन सदियों बाद भी बोलते हैं। अपने समय का इतिहास व संस्कृति आपके सामने लाकर रख देते हैं। ऐसी एक प्राचीन धरोहर कस्बे के बीच में अपने अतीत की यादों के सहारे अपने दिन गिन रहीं हैं, जिसे ग्रामीण महल के नाम से जानते हैं। महल धीरे धीरे जमींदोज होता जा रहा है। अब केवल उसका कुछ भाग शेष है। दो मंजिल की इमारत में आज भी झरोखे आदि बचे हुए हैं। इस प्राचीन भवन का निर्माण कस्बे के ब्राह्मण परिवार ने करवाया था। जिनको पुरोहित जी के नाम से जाना जाता था।
निर्माण कब हुआ, किसने करवाया, यह सब अज्ञात है, लेकिन वर्षों पहले एक वृद्ध दम्पती इसी के पास बने एक कच्चे घर में रहते थे। उनके स्वर्गवास के बाद इसमें आने जाने का रास्ता बंद हो गया। बंबूलों का जंगल उग चुका है। यह महल कस्बे की सबसे पुरानी विरासत है।
महल की विशेष पहचान
वर्ष 1960 में तत्कालीन सरपंच बद्रीलाल दाधिच ने महल को ग्राम पंचायत भवन का दर्जा दिया था। अब महल ग्राम पंचायत के राजकार्य का साक्षी बनने लगा, लेकिन कुछ वर्षों बाद ग्राम पंचायत अपने खुद के भवन में चली गई। यहां जहरीले कीड़ों के डर से कोई नहीं जाता।
महल से ग्रामीणों को खतरा
यह महल कस्बे के आम रास्ते पर है। इसके नीचे आधी आबादी रोज गुजरती है। बदहाल इमारत कभी भी गिर सकती है। इसकी नींव तो सुरक्षित है, लेकिन पुराने खण्डहर भवन ढहने का खतरा बना हुआ है। इसका निर्माण चूने व लाल ईंटों से हुआ है।
विरासत को संरक्षण की दरकार
ग्रामीण बताते हैं कि इस प्राचीन धरोहर को संरक्षण की दरकार है। अगर इसको संरक्षण मिल जाए तो यह जमींदोज होने से बच सकती है। इसके आसपास मंदिर भी है। प्रशासन को इसकी सुध लेनी चाहिए, ताकि नष्ट होती धरोहर को बचाया जा सके।

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