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ग्रामीण बच्चे नहीं पढ़ पा रहे ऑनलाइन

कोरोना की पहली लहर से ही बंद पड़े शिक्षण संस्थानों के बच्चों को इन दिनों बुरे दौर से गुजरना पड़ रहा है। इसमें भी ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों के पास ऑनलाइन शिक्षा के संसाधन नहीं होने के चलते बच्चों का शैक्षणिक स्तर गिर रहा है। जिसके चलते अभिभावक भी बच्चों के भविष्य को लेकर काफी चिंतित दिखाई दे रहे हैं।

बूंदीJul 10, 2021 / 10:32 pm

पंकज जोशी

ग्रामीण बच्चे नहीं पढ़ पा रहे ऑनलाइन

ग्रामीण बच्चे नहीं पढ़ पा रहे ऑनलाइन
कोरोना की पहली लहर से ही बंद पड़े शिक्षण संस्थान
बच्चों का शैक्षणिक स्तर गिर रहा
गोठड़ा. कोरोना की पहली लहर से ही बंद पड़े शिक्षण संस्थानों के बच्चों को इन दिनों बुरे दौर से गुजरना पड़ रहा है। इसमें भी ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों के पास ऑनलाइन शिक्षा के संसाधन नहीं होने के चलते बच्चों का शैक्षणिक स्तर गिर रहा है। जिसके चलते अभिभावक भी बच्चों के भविष्य को लेकर काफी चिंतित दिखाई दे रहे हैं। सरकार की ओर से ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाएं चलाई जा रही है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में स्थितियां काफी विपरीत है। हिण्डोली उपखंड के आधा दर्जन से अधिक गांवों में दर्जनों विद्यार्थियों के पास ऑनलाइन संसाधन नहीं होने के चलते पढ़ नहीं पा रहे हैं।
विद्यार्थी बोले-खोलो स्कूल, हमारा भविष्य हो रहा खराब
कक्षा आठ की छात्रा खुशी प्रजापत ने बताया कि उसके पिताजी गरीब होने के चलते एंड्राइड मोबाइल नहीं होने के कारण पिछले 18 महीनों से किसी प्रकार की ऑनलाइन शिक्षा नहीं ली है। गत वर्ष वर्क बुक विद्यालय से मिली थी। जिसे परिवार के अन्य बच्चों के साथ मिलकर भरकर जमा करवा दी। जिससे उसे प्रमोट कर दिया, लेकिन 2 साल से प्रमोट होने के चलते भविष्य को लेकर काफी परेशान है। कक्षा दसवीं की छात्रा दीपिका सोयल ने बताया कि एंड्राइड मोबाइल पिताजी के पास रहता है। पिताजी काम करने के लिए बाहर चले जाते हैं। ऑनलाइन पढ़ाई करने में दिक्कत आती है। विद्यालय के शिक्षक पाठ्यपुस्तक आधारित सामग्री के लिंक भेजते हैं, लेकिन मोबाइल हाथ में नहीं होने से पढ़ाई नहीं कर पाई। मनु शर्मा 12वीं के छात्र ने बताया कि ऑनलाइन शिक्षण इस कोरोना काल में एक विकल्प है, लेकिन हमेशा पढ़ाई का माध्यम नहीं बन सकता। ऑनलाइन पढ़ाई के लिए भेजे गए लिंक के माध्यम से कभी डाउट क्लियर करना हो तो किससे करें। इसका स्पष्ट उल्लेख नहीं है। सरकार को स्कूलों को खोलना चाहिए ताकि बच्चे वापस पूर्व की भांति पढ़ाई कर सकें। कक्षा सातवीं के मुरली गुर्जर, गोविंद गुर्जर, कक्षा आठवीं के चंदन सैनी, कौशल गुर्जर, तेजस्वी सैनी आदि ने बताया कि हमारे पास मोबाइल नहीं होने के कारण ऑनलाइन शिक्षा से वंचित हैं।
स्कूल ने जोड़ा और हो गए लेफ्ट
ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी विद्यालयों से मिली जानकारी के अनुसार शिक्षकों ने बताया कि अभिभावकों के कक्षावार ग्रुप बना रखे हैं। जिनमें हम नियमित पाठ्यपुस्तक आधारित लिंक को शेयर करते हैं, लेकिन कई ऐसे अभिभावक ऐसे हैं, जिनको ग्रुप में जोड़ा जाता है और शाम होते होते वह ग्रुप से लेफ्ट हो जाते हैं। जिसके कारण बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा नहीं मिल पाती है। कई बार अभिभावक खेती-बाड़ी या अन्य रोजगार पर चले जाने के कारण बच्चे ऑनलाइन नहीं पढ़ पाए। जिससे उनका शैक्षणिक स्तर गिर गया है।
सरकार दे ऑनलाइन संसाधन
ग्रामीण क्षेत्रों के दर्जनों अभिभावकों ने कहा कि सरकार द्वारा कोरोना काल के दौरान ऑनलाइन शिक्षा देने का ढिंढोरा पीटा गया, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के पास मोबाइल नहीं होने से अथवा एकल मोबाइल होने के चलते बच्चे ऑनलाइन शिक्षा से वंचित हो गए। सरकार द्वारा विद्यालयों में दी जा रही सुविधाओं पर राशि खर्च की जा रही है, जबकि इसी राशि से सरकार प्रत्येक विद्यार्थी को एक-एक मोबाइल देकर उसे ऑनलाइन शिक्षा से जोड़ सकती है।
एक्सपर्ट व्यू …
कोरोना संक्रमण के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चे पढ़ाई के मामले में सबसे ज्यादा प्रभावित हुए है। बच्चों में रूटीन वर्क टूटने के चलते बच्चों का माता-पिता के साथ सामंजस्य में कमी आई है। जिन बच्चों को पढ़ाई करना चाहिए, उन्हें खेलने कूदने में समय व्यतीत करना पड़ रहा है। जिससे उनका शैक्षणिक विकास रुक गया है। बार-बार प्रमोट करना सरकार के लिए फायदेमंद हो सकता है, लेकिन बच्चों में शैक्षणिक गुणवत्ता में काफी कमजोरी भविष्य में देखने को मिलेगी। ग्रामीण क्षेत्रों में सभी अभिभावकों के पास ऑनलाइन शिक्षा के संसाधन नहीं होने से उनके बच्चे नियमित ऑनलाइन शिक्षण सामग्री से वंचित है। ऐसे में सरकार को इस समस्या का समाधान अपनी प्रथम प्राथमिकता के आधार पर करना चाहिए।
शिवजी लाल प्रतिहार, शिक्षाविद्

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