महल की विशेष पहचान
वर्ष 1960 में तत्कालीन सरपंच बद्रीलाल दाधिच ने महल को ग्राम पंचायत भवन का दर्जा दिया था। अब महल ग्राम पंचायत के राजकार्य का साक्षी बनने लगा, लेकिन कुछ वर्षों बाद ग्राम पंचायत अपने खुद के भवन में चली गई। यहां जहरीले कीड़ों के डर से कोई नहीं जाता।
महल से ग्रामीणों को खतरा
यह महल कस्बे के आम रास्ते पर है। इसके नीचे आधी आबादी रोज गुजरती है। बदहाल इमारत कभी भी गिर सकती है। इसकी नींव तो सुरक्षित है, लेकिन पुराने खण्डहर भवन ढहने का खतरा बना हुआ है। इसका निर्माण चूने व लाल ईंटों से हुआ है।
विरासत को संरक्षण की दरकार
ग्रामीण बताते हैं कि इस प्राचीन धरोहर को संरक्षण की दरकार है। अगर इसको संरक्षण मिल जाए तो यह जमींदोज होने से बच सकती है। इसके आसपास मंदिर भी है। प्रशासन को इसकी सुध लेनी चाहिए, ताकि नष्ट होती धरोहर को बचाया जा सके।