बूंदी

आपका घर और शीलोदय तीर्थ का काम नहीं रुकना चाहिए

सिलोर स्थित आदिनाथ दिगम्बर जैन शीलोदय अतिशय तीर्थ क्षेत्र में गुरुवार को मुनि पुगंव सुधासागर महाराज का मंगल प्रवेश हुआ। संघ में मुनि महासागर महाराज, मुनि निष्कम्प सागर, क्षुल्लक गम्भीर सागर महाराज, क्षुल्लक धैर्य सागर महाराज शामिल रहे। सुबह संघ का शोभायात्रा के साथ मंगल प्रवेश कराया गया।

बूंदीJul 09, 2021 / 08:09 pm

Narendra Agarwal

आपका घर और शीलोदय तीर्थ का काम नहीं रुकना चाहिए

बूंदी. सिलोर स्थित आदिनाथ दिगम्बर जैन शीलोदय अतिशय तीर्थ क्षेत्र में गुरुवार को मुनि पुगंव सुधासागर महाराज का मंगल प्रवेश हुआ। संघ में मुनि महासागर महाराज, मुनि निष्कम्प सागर, क्षुल्लक गम्भीर सागर महाराज, क्षुल्लक धैर्य सागर महाराज शामिल रहे। सुबह संघ का शोभायात्रा के साथ मंगल प्रवेश कराया गया।
मुनि संघ ने बूंदी के बायपास से विहार किया तो बड़ी संख्या में अगवानी करने भक्त पहुंचे। भक्तों में खुशी की लहर दौड़ गई। सैकड़ों भक्त मुनि संघ के साथ पदविहार करते हुए आगे बढ़ा। तीर्थ पर पहुंचने से दो किलोमीटर पहले से जुलूस के रूप में मुनि संघ को प्रवेश कराया गया। शोभायात्रा में आगे आगे बैंड-बाजे, उनके पीछे उत्साह से भरे शीलोदय नव युवक मंडल, इसके बाद महिला मंडल बूंदी का दिव्य घोष बज रहा था। इसके बाद पूजन मंडल, महिला महासमिति का दिव्य घोस शोभायात्रा का हिस्सा बने। समाज जनों के मध्य मुनि संघ चल रहा था। जय-जय करो और अहिंसा के घोष के साथ मुनि संघ का तीर्थ क्षेत्र में प्रवेश हुआ। जहां शोभायात्रा धर्मसभा में तब्दील हो गई। धर्मसभा में आचार्य विद्या सागर महाराज के चित्र का अनावरण चमलेश्वर कमेटी के अध्यक्ष प्रकाश कासलीवाल, अमोलक चंद मांडलगढ़ ने किया। दीप प्रज्वलन कमेटी के अध्यक्ष टीकम जैन, महामंत्री सुनील जैन, सह निर्देशक महेन्द्र जैन, नरेन्द्र जैन, अशोक जैन ने किया।
धर्मसभा में मुनि पुंगव सुधासागर महाराज ने कहा कि पाप किया है तो मैं सजा भोगुंगा, अपनी जिंदगी में किसी दिन को बुरा मत कहना। कोसना मत, तुम्हारी जिंदगी में कितना ही बुरा वक्त आ जाए तो कोसना मत। इस शीलोदय की इस भूमि ने कैसे-कैसे दिन देखे हैं अब इसका फिर से भाग्य जागा है। महापुरुष काल की कठपुतली बनकर नहीं चलते, वे जो चलते हैं वही काल बन जाता है। सारे लोग अमावस्या को बुरा मानते हैं, महावीर ने काली अमावस्या को पवित्र और पूज्य बना दिया। कभी भी अपनी जिंदगी में भाग्य का मत खाना। पुरुषार्थ करके कमाकर खाना।
मुनिश्री ने कहा कि जो महिमा शास्त्रों में मनुष्य की गाई है, क्या कभी फिलिग हुई कि मैं वही हूं मेरा मुख श्रेष्ठ है कि कभी कटु वचन नहीं निकालते। जीवन में बहुत सारी विचार धाराये होती हैं। कुछ लोग अपने जीवन को जीकर निकाल देते हैं। यहां कहा कि बूंदी में आपका घर और शीलोदय तीर्थ का काम नहीं रुकना चाहिए।

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