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बूंदी के रामगढ़ में बाघ है, बाघिन की जरूरत

रणथम्भौर टाइगर रिजर्व में बाघों की बढ़ती संख्या और बाहर निकलते बाघों को नया आवास देने के लिए केन्द्र सरकार और वन विभाग नए टाइगर रिजर्व तो बना रही है, लेकिन इनमें बाघों की स्थिति को लेकर फिलहाल कोई प्रयास शुरू नहीं हुए। हाड़ौती की दो बाघ परियोजना में एक-एक बाघ हैं।

बूंदीJul 29, 2021 / 09:05 pm

पंकज जोशी

बूंदी के रामगढ़ में बाघ है, बाघिन की जरूरत

बूंदी के रामगढ़ में बाघ है, बाघिन की जरूरत
टाइगर-डे विशेष: हाड़ौती के दो टाइगर रिजर्व में एक-एक बाघ, एक साल से रामगढ़ विषधारी में घूम रहा टी-115
बूंदी. रणथम्भौर टाइगर रिजर्व में बाघों की बढ़ती संख्या और बाहर निकलते बाघों को नया आवास देने के लिए केन्द्र सरकार और वन विभाग नए टाइगर रिजर्व तो बना रही है, लेकिन इनमें बाघों की स्थिति को लेकर फिलहाल कोई प्रयास शुरू नहीं हुए। हाड़ौती की दो बाघ परियोजना में एक-एक बाघ हैं। हालांकि रामगढ़ टाइगर रिजर्व हाल ही में घोषित किया है। ऐसे में यहां काफी कुछ काम करना शेष है। मुकुंदरा अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा है। यहां बसाए गए बाघ-बाघिनों में से अब मात्र एक ही बाघिन शेष बची है। रामगढ़ विषधारी अभयारण्य में पहले से ही एक बाघ मौजूद है, जिसे बाघिन की आवश्यकता है।
बाघिन मिले तो बसे रामगढ़
रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में बाघों का बसेरा शुरू से ही रहा है। रणथम्भौर से निकलकर आने वाले बाघों ने इसे कभी खाली नहीं छोड़ा। यहां कमी हमेशा बाघिन की ही रही। बाघिन नहीं होने से यहां आने वाले बाघ एक-दो साल ठहरकर फिर से रणथम्भौर पहुंच जाते हैं और वहां बाघों का संघर्ष बढ़ जाता है। यहां आए टी-62 ने करीब दो साल यहां गुजारे, लेकिन बाघिन नहीं होने के कारण वह वापस रणथम्भौर चला गया। टी-91 को कोटा शिफ्ट किया गया था। इसके बाद टी-115 करीब एक साल से यहां रह रहा है, लेकिन बाघिन नहीं होने के कारण इसके भी वापस जाने की संभावना बनी हुई है। यदि मुकुंदरा में शेष बची एक मात्र बाघिन को रामगढ़ में छोड़ दिया जाए तो विभाग को यहां शुरुआती तौर पर बाघ-बाघिन को जोड़ा बसाने के लिए संघर्ष नहीं करना पड़ेगा।
कम स्टाफ, फिर भी ट्रेकिंग माकूल
रामगढ़ में टाइगर रिजर्व तो दूर अभयारण्य स्तर तक के लिए भी स्टाफ पर्याप्त नहीं है। कम स्टाफ में ही रामगढ़ की मॉनिटरिंग करनी पड़ रही है। इसके बाद भी यहां आए बाघों की मॉनिटरिंग अच्छी तरह से की जा रही है। रणथम्भौर में जोन वाइज स्टाफ लगाकर एक निर्धारित सीमा तक बाघ की ट्रेकिंग की जाती है, लेकिन रामगढ़ में 307 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में गिने चुने कर्मचारी ही बाघ की ट्रेकिंग कर रहे हैं।
एनटीसीए ने दी टाइगर रिजर्व बनाने की स्वीकृति
5 जुलाई 2021 को नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी ने बूंदी के रामगढ़ विषधारी वन्यजीव अभ्यारण्य को टाइगर रिजर्व बनाए जाने की सहमति दे दी। एनटीसीए ने इस बाबत प्रदेश के वन सचिव को पत्र भेज दिया।
इस संबंध में गत 27 मई को राजस्थान के वन सचिव ने एनटीसीए को पत्र लिखकर इस क्षेत्र को टाइगर रिजर्व के रूप में अधिसूचित किए जाने की सहमति के लिए आग्रह किया था। एनटीसीए की तकनीकी समिति की 21 जून को बैठक हुई थी।
क्षेत्र में पर्यटन को लगेंगे पंख
रामगढ़ विषधारी वन्य जीव अभ्यारण्य में बाघ की दहाड़ गूंजने के बाद इस क्षेत्र में पर्यटन को पंख लग जाएंगे। बूंदी का पर्यटन क्षेत्र में अपना एक नाम है। देश-विदेश से बड़ी संख्या में पर्यटक यहां के गौरवशाली इतिहास की झलक देखने को आते हैं। बाघ आने पर इस क्षेत्र में एक और आकर्षण जुड़ जाएगा।
35 वर्ष पहले यहां थे 9 बाघ
वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार रामगढ़ विषधारी अभयारण्य में वर्ष 1985 में 9 बाघ थे। 1996 में इनकी संख्या घटकर 4 और 1997 में 3 रह गई।
बाहर से भी सहायता की जरूरत
यहां टाइगर रिजर्व के लिए कई कामों की फेहरिस्त है। जिसे पूरा करने के लिए बजट की भी काफी आवश्यकता पड़ेगी, लेकिन कोरोना के चलते सरकार के पास नए टाइगर रिजर्व के लिए बजट उपलब्ध कराना भी एक चुनौती रहेगा। ऐसे में विभाग को बड़ी फैक्ट्रियों व दानदाताओं से राशि मिलने पर काफी राहत मिलेगी। विभागीय सूत्रों के अनुसार यदि राशि मिलने लगे तो टाइगर रिजर्व को मूर्तरूप देने में लगने वाला समय भी कम हो जाएगा और स्थानीय लोगों को इसका लाभ भी शीघ्र मिलने लगेगा।
रामगढ़ टाइगर रिजर्व में फिलहाल काफी कुछ होना है। विभागीय स्तर पर तेजी से काम चल रहा है। बाघ यहां लगातार आते रहे हैं, लेकिन बाघिन नहीं होने से वापस चले जाते हैं।
धर्मराज गुर्जर, क्षेत्रीय वन अधिकारी रामगढ़, जैतपुर रेंज, बूंदी

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