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मनरेगा में महिलाओं की बढ़ी भागीदारी, पुरुष रह गए गिनती के

मनरेगा में काफी समय से काम करने वाले श्रमिकों में महिलाओं की संख्या एक तरफा रहती है। मनरेगा में पुरुष गिनती के ही काम करते हैं।

बूंदीJun 17, 2020 / 10:34 am

Narendra Agarwal

मनरेगा में महिलाओं की बढ़ी भागीदारी, पुरुष रह गए गिनती के

हिण्डोली. मनरेगा में काफी समय से काम करने वाले श्रमिकों में महिलाओं की संख्या एक तरफा रहती है। मनरेगा में पुरुष गिनती के ही काम करते हैं। जानकारी के अनुसार मनरेगा में ग्राम पंचायतों द्वारा विभिन्न गांव में तलाई, एनिकट, मिट्टी के काम सहित कई कार्यों में मस्टररोल जारी होती है, लेकिन अधिकांश मस्टररोल में 80 फीसदी से अधिक महिलाएं ही कार्य करती हैं। वहां पर पुरुष काफी कम संख्या में काम करते हैं। ग्राम पंचायतों में भी जॉब कार्ड में नाम दर्ज करवाने, पंजीयन करवाने के लिए महिलाओं की अधिक भीड़ लगी रहती हैं। सूत्रों की माने तो अधिकांश मजदूर गांव के प्रमुख चौराहों व अन्य स्थलों पर बैठे ठाले रहते हैं, लेकिन वह मनरेगा में काम करने से बचते हैं। एक जॉब कार्ड में एक व्यक्ति का नाम होने पर वह महिलाओं को काम के लिए आगे कर देते हैं।
इस बारे कई लोगों से बात की तो उनका कहना है कि मनरेगा में मजदूरी डेढ़ सौ से पौने दो सौ रुपए के बीच मिलती हैं। जिससे पुरुषों को इतनी कम राशि की मजदूरी रास नहीं आती है। राशि के तौर पर 3 सौ से पांच सौ रुपए प्रतिदिन कमाने की चाह रखते हैं। वहीं मनरेगा के अधिकारिक सूत्र बताते हैं कि गांव में चल रहे कार्यों में महिलाओं की संख्या अधिक रहती है। महिलाएं कार्य स्थल पर पूरे समय तक डटी रहती हैं।

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