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सूर्य खोलेगा किस्मत के द्वार, नए साल में इन पर होंगी पैसों की बरसात ज्योतिषाचार्य अमित जैन ने बताया कि ज्येष्ठ वाला अधिकमास दस वर्ष बाद होगा, इससे पहले 2007 में ज्येष्ठ में अधिकमास का योग बना था। 1 मई से 28 जून तक ज्येष्ठ मास रहेगा। ज्योतिष गणना के अनुसार सौर मास 12 और राशियां भी 12 होती है। जब दो पक्षों में संक्रान्ति नहीं होती तब अधिकमास होता है। अधिकमास शुक्ल पक्ष से प्रारम्भ होकर कृष्ण पक्ष में समाप्त होता है। हर तीसरे वर्ष अधिकमास का संयोग बनता है। ऐसा सूर्य व पृथ्वी की गति में होने वाले परिवर्तन से तिथियों का समय घटते-बढऩे के कारण होता है।
क्या और कब होता है अधिकमास
ज्योतिषाचार्य जैन के अनुसार व्रत-पर्वोत्सव में चंद्र माह की गणना को आधार माना जाता है। चंद्रमास 354 दिनों का जबकि सौरमास 365 दिन का होता है। इस कारण हर साल 11 दिन का अंतर आता है, तो तीन वर्ष में एक माह से कुछ ज्यादा हो जाता है। 32 माह 16 दिन और चार घड़ी के अंतर से अधिकमास आता है। चंद्र और सौर मास के अंतर को पूरा करने के लिए धर्मशास्त्रों में अधिकमास की व्यवस्था की गई है।
पौराणिक मान्यता
प्राचीन काल में सर्वप्रथम अधिक मास की उत्पत्ति हुई उस मास में सूर्य संकमण होने के कारण वह मंगल कार्यों के लिए ग्राह्य नहीं माना गया। लोग उसकी निंदा करने लगे। बारह मास, तिथी, ग्रह नक्षत्र, कलाओं, उत्तर-दक्षिण अयन, संवत्सर आदि ने अधिकमास बैकुंठ मेंं भगवान विष्णु के पास पहुंचे तो भगवान ने उसे आशीर्वाद दिया कि मेरा नाम जो वेद, लोक एवं शास्त्र में विख्यात है, आज से उसी पुरुषोत्तम नाम से यह मलमास विख्यात हुआ।
पंचांगों के अनुसार अधिकमास
वर्ष मास वर्ष मास
1993 भाद्रपद 2015 आषाढ़
1996 आषाढ़ 2018 ज्येष्ठ
1999 ज्येष्ठ 2020 अश्विन
2001 अश्विन 2023 श्रवण
2004 श्रवण् 2026 ज्येष्ठ
2007 ज्येष्ठ 2029 चैत्र
2010 वैशाख 2031 भाद्रपद
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