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दरअसल, प्रशांत बीते 11 जून को मर्चेंट नेवी की ट्रेडिंग के लिए मलेशिया गया था। परिजनों के मुताबिक जब से एजेंटों ने प्रशांत को मलेशिया भेजा था वह तभी से रोजाना परिजनों से बात भी कर रहा था। परिजनों ने बताया कि वीडियो काॅलिंग के दौरान प्रशांत के चेहरे पर अजीब सा डर देखने को मिलता था। इधर, एजेंट प्रशांत के परिवार से लगातार और पैसे की मांग कर रहे थे, जिसको प्रशांत के पिता पूरा भी कर रहे थे।
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प्रशांत के पिता बताते हैं कि आखिरी बार 26 जून को प्रशांत से उनकी बात हुई थी। इस दिन भी उन्होंने एजेंट को 50 हजार रुपए भेजे थे। इसके बाद से प्रशांत की कॉल आनी पूरी तरह बंद हो चुकी थी। कॉल नहीं आने पर परेशान परिजनों ने प्रशांत के मलेशिया वाले नंबर पर कई कॉल किए, लेकिन वहां से फोन नहीं उठाया जा रहा था। अंत में जब मलेशिया से कॉल आया तो परिवार की खुशियां मातम में तबदील हो गईं।
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कॉल करने वाले ने खुद को प्रशांत का एजेंट बताते हुए कहा कि 26 जून को प्रशांत को शिप से सुमद्र में उतारा गया था। इस दौरान उसकी पानी में डूबने से मौत हो गई है। इसके बाद प्रशांत के परिजनों को सूचना मिली कि उसका पैर फिसलने से वह पानी में गिर गया, जिससे मौत हो गई। अभी तक भी प्रशांत का परिवार ये नहीं समझ पा रहा है कि आखिर प्रशांत की मौत कैसे हुई। परिजनों को मलेशिया से प्रशांत के शव को पानी से निकाले जाने की सूचना भी मिली, लेकिन इस पूरे मामले में प्रशांत का परिवार किसी बड़ी साजिश की आशंका जता रहा है। प्रशांत की बहन का रो-राेकर बुरा हाल है। उसकी आंखों से बहते आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं और लड़खड़ाती जुबान से उसने भाई के शव के लिए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से शव लाने की गुहार लगाई है।
उसका कहना है कि वह रक्षा बंधन पर भाई के आने का इंतजार कर रही थी, लेकिन उसे क्या पता था कि इस बार उसका रक्षा बंधन सूना रह जाएगा। घर के अन्य लोगों का हाल भी कुछ इसी तरह बेहाल है। वह भी प्रशांत की अंतिम झलक पाने के लिए दरवाजे पर नजरें जमाए बैठे हैं। इधर, प्रशांत की मां का रो-रोकर बुरा हाल है। उन्होंने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से अपने कलेजे के टुकड़े को भारत लाने की अपील की है। ताकि पूरा परिवार प्रशांत के अंतिम दर्शन कर रीति-रिवाज से उसका अंतिम संस्कार कर सके। इधर, बुलंदशहर जिला प्रशासन का कहना है कि प्रशांत का परिवार विदेश मंत्रालय के टच में है। शव को भारत लाने के प्रयास भी शुरू किए जा चुके हैं। सिकंद्राबाद एसडीएम परिवार की हर संभव मदद करने का भी दावा कर रहे हैं।