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इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को कड़ी फटकार लगाई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने हम उत्तर प्रदेश सरकार से तंग आ चुके हैं। ऐसा लगता है यूपी में जंगलराज है। यूपी के वकीलों को पता ही नहीं है कि किस नियम के तहत काम किया जा रहा है। इसके साथ ही कोर्ट ने ये भी पूछा है कि सरकार किस कानून के तहत मंदिर और उनकी संस्थाओं की निगरानी कर रही है। जिस पर उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से पेश वकील की बोलती बंद ही रही। इसके बाद वकील की ओर से लिखित हलफनामा दायर किया गया और सर्वोच्च अदालत से कुछ समय मांगा गया है। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी पूछा कि सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार का कोई अधिकारी मौजूद क्यों नहीं है। जिसका जवाब भी सरकारी वकील नहीं दे पाए। यह भी पढ़ें
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बता दें कि बुलंदशहर के थाना डिबाई क्षेत्र के नरौरा गांव में सैकड़ों वर्ष पुराना मंगला बेलो भगवती मंदिर है। पूर्व प्रधान विजय प्रताप सिंह का दावा है कि उनके पूर्वजों ने इस मंदिर की स्थापना की थी। तभी से इनके लोग मंदिर में सेवा करते हुए आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि मंदिर में दो पंडाल ने समिति बनाकर मंदिर का पैसा खाना चाहा। इसको लेकर पहले हमने प्रशासन से शिकायत की और उसके बाद प्रशासन ने इस मामले में 9 सदस्य टीम भी बनाई थी। जिसमें बैंक में खाता खुलवा कर इसमें सहारा चढ़ावा जमा कराया जाता था। वहीं दूसरे पक्ष अमर उपाध्याय का कहना है कि मंदिर पूर्व प्रधान विजय प्रताप सिंह की संपत्ति नहीं है। इस मंदिर का चार्ज गांव के पंडा पर रहा है और वही लोग पहले से ही मंदिर की सेवा करते हुए आ रहे हैं। हमारी मांग है कि इस मंदिर का चार्ज पंडा को ही मिलना चाहिए। इस मामले में जिलाधिकारी रविंद्र कुमार ने बताया कि देवी मंदिर के लिए एसडीएम की निगरानी में समिति बनी हुई है। जो मंदिर में चढ़ावा आता है उसको बैंक में जमा करा दिया जाता है। मंदिर में 3 सदस्य निगरानी रखते हैं। वहीं मंदिर में पुलिस भी तैनात की हुई है और बाकायदा मंदिर में सीसीटीवी कैमरे लगवाए हुए हैं जो दानपात्र के ऊपर लगे हुए हैं। मंदिर में किसी भी तरह की कोई बेईमानी नहीं कर सकता।