बुलंदशहर. एक सितंबर से देशभर में नया व्हीकल एक्ट लागू हो गया है। इसके साथ ही दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और तमाम राज्यों में चालान का प्रतिशत दर घटती नजर आई है। यानी इससे साफ हो गया कि लोग कड़े नियमों के चलते अब यातायात का पालन करने लगे हैं। मगर ठीक उसके उलट देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से महज 70 किलोमीटर दूर बुलंदशहर के पहासू इलाके में जो तस्वीर सामने आई है, वह मानो नए व्हीकल एक्ट को मुंह चिढ़ा रही है। साथी यह बताने के लिए काफी है कि दिल्ली से 70 किलोमीटर दूर उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में पुलिस प्रशासन के आला अधिकारी नौनिहालों की जान के प्रति कितने सजग हैं।
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अब इन तस्वीरों को जरा देखिए, यह कोई सरकारी बस नहीं, बल्कि सड़कों पर मौत बांटने वाली डग्गामार बस है। सोमवार की सुबह यह बस पहासू इलाके से खुर्जा के लिए निकली, इस बीच रास्ते में पड़ने वाले स्कूलों के लिए जाने वाले छात्र-छात्राएं रोज इसी तरीके से अपनी जान जोखिम में डालकर स्कूल तक पहुंचते हैं। तस्वीरों में साफ दिख रहा है कि दर्जनों छात्र बस की छत पर बैठे हैं तो कई बस के पीछे लटके हुए हैं। इसके बावजूद भी इन बसों को रोकने वाला कोई नहीं दिखा। वीडियो सामने आने के बाद अब पुलिस के आला अधिकारी जांच कर कार्रवाई की बात कर रहे हैं।
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पश्चिमी उत्तर प्रदेश से रोजाना इसी तरीके से सैकड़ों डग्गामार बस दिल्ली की तरफ दौड़ती है और हर रोज हजारों स्कूली छात्र-छात्राएं इसी तरह से इन बसों में जान जोखिम में डाल स्कूल से आने जाने का सफर करते हैं। हालांकि, नए व्हीकल एक्ट में कड़े प्रावधान कए गए हैं। नये नियम के तहत हेलमेट नहीं पहनने या सीट बेल्ट नहीं लगाने वालों पर 1,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा, जो कि पहले 100 रुपये था, जबकि बिना ड्राइविंग लाइसेंस के गाड़ी चलाने वालों पर 5,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। इसके अलावा तीन महीने की जेल भी हो सकती है। डग्गामार बस चलने और उनके साथ रोज सैकड़ों नौनिहालों की जान जोखिम में डालने की तस्वीरें सामने आने के बाद अब परिवहन विभाग भी वीडियो में दिख रही बस की पुष्टि कर कार्रवाई की बात कर रहे हैं, जबकि इसी तरीके से दर्जनों बस में सवार होकर हजारों छात्र अपनी जान जोखिम में डाल ऐसे ही सफर करने को मजबूर हैं।
1 सितंबर को नया व्हीकल एक्ट लागू होने के बाद भले ही अब लोग यातायात नियमों का पालन कर रहे हो, मगर रोजाना इसी तरीके से पश्चिमी उत्तर प्रदेश या प्रदेश के ज्यादातर जिलों में लोग सफर करने को मजबूर हैं। इसके साथ ही हजारों छात्र-छात्राएं भी इसी तरीके से डग्गामार बस में रोज सफर करने को मजबूर होते हैं। तस्वीरें सामने आने के बाद कार्रवाई की बात करी जाती है। मगर ऐसा होता नहीं है। ऐसा लगता है मनो किसी बड़े हादसे का इंतजार किया जा रहा हो। जब कोई हादसा हो जाएगा तभी शायद कुंभकरण की नींद में सोए प्रशासन की नींद टूटेगी।