रावण के पुतले दहन करने का मकसद भी सिर्फ यही होता है कि आज का समाज ये जान सके की किस तरह रावण दहन करने के बाद बुराई पर अच्छाई और अधर्म पर धर्म की जीत हुई थी।
•Oct 24, 2018 / 02:57 pm•
Rahul Chauhan
बिसरख के अलावा भी यूपी में एक ऐसा शहर है जहां दशहरा के दिन रावण दहन नहीं किया जाता।
दिल्ली से महज 55 किलोमीटर दूर बुलंदशहर ज़िले के सिकंदराबाद कसबे में दशहरे के दिन रावण दहन नहीं किया जाता, क्योंकि सिकंदराबाद में रावण के पुतले का दहन चौदस, यानि दशहरा के चार दिन बाद किया जाता है।
रामलीला कमेटी सदस्यों कि मानें तो जब भगवान श्री राम ने रावण का वध किया था तो रावण की पत्नी मन्दोदरी रावण को जीवित कराने के लिए सिकंदराबाद के किशन तालाब पर लाई थी।
मन्दोदरी ने 4 दिन तक रावण को सिकंदराबाद में ही रखा था। इतना ही नहीं मन्दोदरी रावण को सिकंदराबाद से तब ले गई थी जब उसे पूरी तरह यकीन हो गया था कि रावण का वध हो चुका है।
रामलीला कमेटी के सोनू का कहना है कि चौदस की रात बुलन्दशहर के सिकंद्राबाद में रावण के पुतले का दहन किया जाता है। रावण की पत्नी मन्दोदरी ने चार दिन तक रावण को सिकंदराबाद में रखा था, क्योंकि मन्दोदरी सोचती थी कि यहां रावण जीवित हो सकता है।
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