महागबंधन के प्रयास में जुटे इन दिग्गज नेताओं ने भी माना, मोदी की ताकत के सामने टिक पाना मुश्किल देश में जाट आरक्षण की मांग को लेकर एक बार जाट लामबंद होने शुरू हो गए हैं। राष्ट्रीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के बैनर तले जाटों ने एकता दिखाते हुए फिर एक बार फिर आरक्षण के मुद्दे पर एकजुट होकर सरकार पर दवाब बनाने की कोशिश शुरू कर दी है। जिले के बीबीनगर कस्बे में आयोजित महापंचायत में पश्चिमी उत्तर प्रदेश और हरियाणा और पंजाब से भी जाट नेताओं ने आकर आंदोलन की रूपरेखा तैयार की। इस दौरान गुस्साए जाट नेताओं ने केंद्र सरकार पर जाट बिरादरी के लोगों के साथ भेदभाव का आरोप लगाया। मीडिया से बातचीत करते हुए जाट आरक्षण संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी यशपाल मलिक ने कहा कि वर्तमान सरकार जाटों के लिए कोई काम नहीं कर रही है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि यह सरकार जाटों की विरोधी सरकार है, जो कि जाटों को आरक्षण के मुद्दे पर गोलमोल जवाब देती है। जबकि इस बारे में सभी ने उन्हें आश्वस्त किया था कि वे जाटों के हितेषी हैं और आरक्षण के लिए वह गंभीर हैं। इस दौरान उन्होंने कहा कि दिसंबर में अलीगढ़ में जाटों की एक महारैली होगी और इस तरह से देशभर में महारैलियों के जरिए आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जा रही है। चुनाव के ठीक बाद जाट एक साथ सरकारों को खिलाफ किसी भी हद तक अपने आंदोलन को लेकर जाएंगे। जाट नेता यशपाल मलिक ने प्रधानमंत्री पर वादाखिलाफी करने का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें आश्वस्त किया गया था कि जल्द ही आरक्षण के मुद्दे पर सरकार कोई फैसला लेगी, लेकिन लंबा समय हो गया अभी तक सरकार इस तरफ ध्यान नहीं दे रही है। उन्होंने कहा कि आरक्षण के लिए सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने एक कमीशन बनाने की बात कही थी, लेकिन अभी तक भी कमीशन की कोई रिपोर्ट नहीं आई है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी से मांग की कि वे जाट आरक्षण के बारे में जो कमीशन की रिपोर्ट आनी थी उसे जल्द से जल्द जनता के सामने रखें।
अखिलेश यादव के बाद अब इस पार्टी के मंच पर पहुंचे भाजपा के बागी नेताओं ने किया ये बड़ा ऐलान इस मौके पर मलिक ने कहा कि तीनों धर्मों के हिन्दू, मुस्लिम और सिख धर्म के जाट एकजुट होकर आंदोलन करेंगे। उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर केंद्र सरकार ने जाटों को आरक्षण के मुद्दे पर गंभीरता नहीं दिखाई तो देश में 132 सीटों पर जाटों का वर्चस्व है और सभी जाट मिलकर केंद्र सरकार के खिलाफ एकजुट होकर हुंकार भरेंगे। इस मौके पर उन्होंने हिंदू, मुस्लिम और सिख धर्म के जाटों का जिक्र करते हुए कहा कि अबकी बार अगर केंद्र सरकार ने जाटों को आरक्षण देने के मुद्दे पर गम्भीरता नहीं दिखाई तो राज्यों में होने वाले चुनावों के बाद दिसंबर के बाद जाट समुदाय आंदोलन के लिए सड़कों पर संघर्ष कर सकता है।