आपको बात दें कि हाजी अलीम 2007 और 2012 में बुलंदशहर सदर सीट से बसपा के टिकट पर विधायक चुने गए थे। 2012 में समाजवादी पार्टी की लहर के बावजूद उन्होंने जीत दर्ज की थी। 2007 में उन्होंने सपा प्रत्याशी महेंद्र सिंह यादव को हराकर पहली बार इस सीट को बसपा की झोली में डाला था। वहीं 2012 में भाजपा के दिग्गज नेता और पूर्व मंत्री वीरेंद्र सिंह सिरोही को 5 हजार वोटों से शिकस्त दी थी। आपको बता दे कि हाजी अलीम से पहले कोई भी बसपा प्रत्याशी बुलंदशहर सदर सीट से जीत दर्ज नहीं कर सका था। पहली बार हाजी अलीम ने ही यह सीट बसपा की झोली में डाली थी। लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव में अलीम को भाजपा नेता वीरेंद्र सिंह सिरोही से करीब 23 हजार से भी अधिक वोटों से हार का सामना करना पड़ा था। दरअसल, इस बार बसपा के इस बाहुबली नेता का समीकरण कभी उनकी ही पार्टी में रहे रालोद के भगवान शर्मा उर्फ गुडडू पंडित ने बिगाड़ दिया था। अलीम के भाई हाजी यूनुस वर्तमान में बुलंदशहर सदर के ब्लॉक प्रमुख हैं।
गौरतलब है कि 2017 के विधानसभा चुनाव में बुलंदशहर की सदर सीट से बसपा से हाजी अलीम और रालोद के टिकट पर भगवान शर्मा उर्फ गुडडू पंडित दोनों आमने-सामने थे। हाजी अलीम चौधरी पिछले 10 वर्षों से बसपा के टिकट पर बुलंदशहर सदर सीट से विधायक थे। वहीं, उनके प्रतिद्वंद्वी गुडडू पंड़ित पूर्व मुख्यमंत्री और राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह के पुत्र राजवीर उर्फ राजू भैया को हराकर डिबाई सीट पर पिछले 10 वर्षों से कब्जा जमा हुए थे। लेकिन जब दोनों बाहुबली सामने आए तो जीत की बाजी 23 हजार से भी अधिक वोटों से भाजपा के नेता वीरेंद्र सिंह सिरोही मार गए और दोनों ही बाहुबलियों को हार का मुंह देखना पड़ा। इस चुनाव में बसपा नेता हाजी अलीम भले ही हार गए, लेकिन वह दूसरे नम्बर पर रहे। इस चुनाव में इन दोनों बाहुबलियों के आमने-सामने होने की खबर ने मीडिया में खूब सुर्खिया बटोरी थी।