सिर्फ इतना ही नहीं इज्तिमागाह में आने वाले लाखों लोगों की सहूिलयत के लिहाज़ से हर बिमारी और अनहोनी से बचने के लिए दवाखाने, डिस्पेंसरियां भी कायम किये गए हैं। साथ ही इज्तिमागाह में कुतुबखाने, पंसारी की दुकानें व कपड़े आदि सहित इज्तिमा के हवाले से ज़रूरियात-ए-ज़िन्दगी का हर सामान सस्ता और बहतर मुहैया कराने के लिए स्वंय सेवी संस्थाएं और रज़ाकार अपने कैम्प लगाए हुए हैं। ताकि किसी भी आदमी को किसी चीज़ को लेने के लिए कहीं दूर जाना न पड़े। बता दें कि इज्तिमागाह में तत्कालिक तौर पर थाने का भी निर्माण किया गया है, ताकि शरारती तत्वों के किसी भी हरकत को वक्त रहते ही नाकाम किया जा सके।
बता दें कि इस आलमी इज्तिमा में लाखों अकीदतमंदों के आने की बात इंतजामिया की जानिब से कही जा रही है। इज्तिमा में तबलीगी जमाअत के मौजूदा सरबराह मौलाना साद साहब की तशरीफ़ आवरी की भी संभावना भी जताई जा रही है। गौरतलब है कि तबलीगी जमाअत का काम मौलाना इलियास रहमतुल्लाहिअलैह ने 1926 में शुरू किया था। 1944 में उनके इंतकाल के बाद मौलान यूसुफ़ ररहमतुल्लाहिअलैह ने इसकी बागडोर संभाली। उन्होंने इस ज़िम्मेदारी को बखूबी निभाया, जिससे तबलीगी जमाअतों का आना-जाना शुरू हो गया। 1965 में उनके इंतकाल के बाद मौलाना इनामुल हसन के कांधों पर इस अहम काम की ज़िम्मेदारी आई और उन्होंने भी पूरी लगन और मेहनत से इस काम को बखूबी अंजाम दिया। मगर 1995 में उनके इंतकाल के बाद से इस तबलीगी काम की ज़िम्मेदारी को मौलाना साद साहब अंजाम दे रहे हैं, जो आज भी पूरी दुनिया में पूरे जोर शोर से जारी है।