जिस स्कूल में बच्चे अपनी जिंदगी संवारने के लिए आते हैं। वहां की हालत खस्ता है। लैंटर झड़-झड़ कर गिर चुका है और स्कूल में रखा फर्नीचर भी टूट चुका है। ये हालत है दिल्ली से महज 55 किलोमीटर दूर एनसीआर का हिस्सा कहे जाने वाले बुलंदशहर ज़िले के सिकन्द्राबाद कस्बे में स्तिथ 7 नंबर प्राथमिक विद्यालय की है। यहां सैंकड़ों बच्चे एक कमरे में बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं। यहां न तो लाइट है और न ही गर्मी से राहत देने के लिए कोई और साधन। यहां छोटे-छोटे मासूम पढ़ने के बजाए अपने छोटे-छोटे हाथों से पंखा झलते नजर आते हैं। सिकन्द्राबाद के रामपुरा में स्तिथ इस प्राथमिक विद्यालय की एक और ज़मीनी हक़ीक़त ये है कि इस एक रूम में दो स्कूलों के सैंकड़ों छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं और उन्हें पढ़ाने के लिए यहां एक भी शिक्षक नहीं है। सच्चाई ये है कि दो स्कूलों के सैंकड़ों बच्चों को पढ़ाने के लिए बुलंदशहर बेसिक शिक्षा अधिकारी ने सालों से यहां सिर्फ दो ही शिक्षामित्रों को नियुक्त कर रखा है। ये हालत सिर्फ 7 नंबर स्कूल का ही नहीं है, बल्कि 6 नंबर स्कूल के छात्र-छात्रों का भी यही हाल हैं।
दरअसल, 6 नंबर स्कूल की इमारत जर्जर हो चुकी है। इसकी हालत को देखते हुए इसे सरकार ने डैड घोषित कर दिया था। इसके बाद ज़िम्मेदार अधिकारियों ने भी इमारत का निर्माण कराने के बजाए दोनों स्कूलों के बच्चों को एक रूम में ठूसकर अपनी जिम्मेदारी से बरी हो गए। यहां नियुक्त शिक्षामित्रों की माने, तो भीषण गर्मी में यहां बिना कूलर/पंखे के पढ़ने वाले ये मासूम छात्र गर्मी से कई बार तो बेहोश तक हो चुके हैं। इसके अलावा शिक्षामित्रों को भी कई बीमारियों का सामना करना पड़ा। स्कूल की एक शिक्षामित्र बताती हैं कि जर्जर इमारत के देखने के लिए अधिकारी एक बार तब आए थे, जब नगर के एक स्कूल का लैंटर गिर गया था। इस बात से साफ अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि शिक्षा विभाग किस क़दर लापरवाह हो चुका है। या यूं कहें कि बेसिक शिक्षा अधिकारी का विकास जनपद के स्कूलों में नहीं, बल्कि उनकी अलमारी में रखी फाइलों में होता है। वहीं, शिक्षामित्रों का दावा है कि उनकी ओर से यहां सालों से शिक्षकों की मांग की जा रही है, लेकिन बेसिक शिक्षा अधिकारी से अब तक इन्हें सिर्फ दिलासा ही मिला है। यहां ये उठता है कि क्या इन सैंकड़ों बच्चों को शिक्षित बनाने के लिए ये दो शिक्षामित्र काफी हैं ?
इन विद्यायलों की समस्या और स्कूल तक पहुंचने से पहले ही दम तोड़ चुकी योजनाओं पर जब हमारी टीम ने सिकन्द्राबाद के ABSA से उनका पक्ष जाना तो उनका जवाब और भी हैरान कर देने वाला था। ABSA ने जो बताया वो सरकार के उन तमाम दावों से उलट है, जिनमें योगी सरकार यूपी की शिक्षा सुविधाओं में सुधारने का दावा कर रही है। ABSA ने बताया कि सिकन्द्राबाद में 12 प्राथमिक विद्यालय हैं, लेकिन 12 विद्यालयों में बच्चों को पढ़ाने वाले महज 6 ही शिक्षक हैं। इस बात से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि जब कस्बों के स्कूलों का ये हाल है तो फिर ग्रामीण क्षेत्रों के प्राथमिक विद्यालयों में बच्चे किस तरह शिक्षित बनाया जा रहा होगा?