26 नवंबर 1947 को स्वतंत्र भारत के पहले वित्त मंत्री शणमुखम शेट्टी भी बजट पेश करने लिए इसी सूटकेस में लाए थे।
•Feb 01, 2018 / 09:31 am•
manish ranjan
यह इत्तेफाक नहीं की अबतक बजट पेश करने वाले हर वित्तमंत्री के हाथ में एक जैसा ही सूटकेस दिखाई देता है। आगे कि स्लाइड में जानिए इसके पीछे की वजह,
यह प्रथा वर्ष 1860 से शुरू है। 26 नवंबर 1947 को स्वतंत्र भारत के पहले वित्त मंत्री शणमुखम शेट्टी भी बजट पेश करने लिए इसी सूटकेस में लाए थे।
असल में बजट फ्रांसीसी शब्द ‘बॉगेटी’ से निकला हुआ है, जिसका मतलब लेदर बैग होता है। यह परंपरा 1860 से चल रही है। उस वर्ष ब्रिटेन के ‘चांसलर ऑफ दी एक्सचेकर चीफ’ विलियम एवर्ट ग्लैडस्टन फाइनेंशियल पेपर्स के बंडल को लेदर बैग में लेकर आए थे।
इससे साफ पता चलता है कि कभी ब्रिटेन की कॉलोनी रही भारत के बजट बॉक्स या सूटकेस पर अभी भी उसका असर है। स्वतंत्रता के बाद भी भारत में लेदर बैग की इस परंपरा को जारी रखा गया है। बता दें कि ब्रिटेन की अन्य कालोनियां यानी उपनिवेशों जैसे- यूगांडा, जिम्बाब्वे और मलेशिया में भी बजट स्पीच के लिए इसी बजट सूटकेस का उपयोग किया जाता है।
भारत में हर वर्ष बजट सूटकेस के कलर और शेड्स में अंतर दिखाई देता है, क्योंकि बजट बॉक्स या सूटकेस में ही बजट डाक्यूमेंट्स लाने के विपरीत आगे के वित्त मंत्री नए बजट सूटकेस का उपयोग करते हैं।
अब तक सबसे दिलचस्प सूटकेस पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का था। यूपीए सरकार के वित्त मंत्री के रूप में उन्होंने पूरी तरह ग्लैडस्टन जैसे रेड बजट बॉक्स का उपयोग किया था।
ब्रिटेन में रेड ग्लैडस्टन बजट बॉक्स 2010 तक प्रचलन में था। 2010 में इसे म्यूजियम में रख दिया गया और उसकी जगह एक फ्रेश रेड लेदर बजट बॉक्स का यूज शुरू किया गया।
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