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कभी दुपट्टे से तो कभी पल्लू से अपना बायां हाथ छुपाकर रखती थी मीना कुमारी, जानें इसके पीछे का राज

मीना कुमारी को ‘ट्रेजेडी क्वीन’ के नाम से भी जाना जाता था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक्ट्रेस ने हमेशा कैमरे के सामने अपना बायां हाथ छुपाकर रखा।

Jan 24, 2022 / 08:59 pm

Sneha Patsariya

बॉलीवुड की दिवंगत अभिनेत्री मीना कुमारी (Meena Kumari) ने अपनी अदाकारी से बड़े पर्दे पर खूब नाम कमाया। बेहद कम ही कम उम्र में मीना कुमारी को फिल्म इंडस्ट्री में नाम, पैसा, शोहरत सब कुछ मिला। मीना कुमारी अपने माता पिता की दूसरी बेटी थीं और उनके जन्म से उनके पिता बेहद दुखी थे क्योंकि अली बख्श बेटा चाहते थे। साल 1939 में फिल्म लेदरफेस रिलीज हुई थी जिसमें वो चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर नजर आई थीं। जानकारी के मुताबिक फिल्म के पहले दिन मीना कुमारी के 25 रुपये दिए गए थे। मीना कुमारी ने इसके बाद कई फिल्मों में काम किया जिसमें पाकीजा, साहिब बीवी और गुलाम, दिल अपना और प्रीत पराई, बीजू बावरा, फूल और पत्थर, कोहिनूर, परिणीता, मेरे अपने, सांझ और सवेरा, दो बीघा जमीन और बहारों की मंजिल शामिल है।
उन्होंने अपने करियर में करीब 92 फिल्मों में काम किया। फिल्मी पर्दे पर उनकी जिंदगी जितनी हसीन लगती थी, असल जिंदगी में वह उतनी ही परेशान थीं। मीना कुमारी को ‘ट्रेजेडी क्वीन’ के नाम से भी जाना जाता था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक्ट्रेस ने हमेशा कैमरे के सामने अपना बायां हाथ छुपाकर रखा।
मीना कुमारी से जुड़े इस राज का खुलासा कमाल अमरोही के बेटे ताजदार अमरोही ने एक इंटरव्यू के दौरान किया था। आइए जानते हैं मीना कुमारी अपने इस बाएं हाथ को क्यों छुपा कर रखती थी? एक इंटरव्यू के दौरान कमाल के बेटे ताजदार अमरोही ने कहा था कि, 21 मई 1951 को मीना कुमारी महाबालेश्वर से मुंबई वापस लौट रही थी तभी उनका एक्सीडेंट हो गया। एक्सीडेंट के दौरान मीना कुमारी को गहरी चोट लगी थी जिसके चलते उन्हें कई दिनों तक अस्पताल में ही भर्ती रहना पड़ा था। इसी एक्सीडेंट में मीना कुमारी के बाएं हाथ की उंगली टूट गई थी। इतना ही नहीं इस चोट के कारण मीना कुमारी के इस अंगुल का आकार भी गोल हो गया था।
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मीना कुमारी को लेकर यह भी कहा जाता है कि फिल्मी दुनिया में वह जितनी बड़ी सुपरस्टार थीं, असल में वह उतनी ही दुखी और परेशान रहती थीं। उनके बारे में बात करते हुए लता मंगेशकर ने कहा था, “मीना कुमारी कई बार बात करने के लिए फोन तो करती थीं, लेकिन वह अपनी जिंदगी से बहुत ही नाखुश नजर आती थीं।” बता दें कि जिंदगी के आखिरी समय में मीना कुमारी ने ‘पाकीजा’ और ‘गोमती’ के किनारे’ जैसी फिल्मों में काम किया था।
बता दें 4 फरवरी 1972 को मीना कुमारी की फिल्म पाकीजा रिलीज हुई जिसे बहुत पसंद किया गया। इसके तीन हफ्ते बाद मीना कुमारी की तबीयत बहुत खराब हो गई औऱ उन्हें सेंट एलिजाबेथ नर्सिंग होम में भर्ती करवाया गया जहां 31 मार्च 1972 को उनका निधन हो गया। उनके निधन की वजह लीवर सिरोसिस बताई गई।
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