संजय की जिंदगी में मुसीबतों का दौर दरअसल 1993 के मुंबई बम ब्लास्ट में नाम सामने आने के बाद संजय दत्त की जिंदगी में मुसीबतों का दौर शुरू हो गया था। ये किस्सा साल 1994 का है जब संजय दत्त को बेल नहीं मिली और उन्हें दोबारा गिरफ्तार कर लिया गया था।
‘मेमोरीज ऑफ आर पैरेंट्स’ किताब के अनुसार इस दौरान जेल में प्रिया दत्त अपने भाई संजय दत्त को राखी बांधने पहुंची थीं। उस वक्त वो संजय दत्त की हालत देखकर बहुत इमोशनल हो गई थीं। संजय काफी उदास थे, लेकिन बहन को उनके दुख का एहसास न हो इसलिए चेहरे पर झूठी हंसी की चादर ओढ़ रखी थी।
मेरे पास देने के लिए कुछ भी नहीं राखी बंधवाने के बाद संजय दत्त हमेशा अपनी बहनों को कुछ न कुछ गिफ्ट दिया करते थे। लेकिन उस दिन संजय दत्त ज्यादा देर तक झूठी मुस्कुराहट बरकरार न रख पाए और टूट कर बोल पड़े ‘मेरे पास तुम्हें देने के लिए कुछ भी नहीं है। इसके बाद भी संजय दत्त ने अपनी बहन को खाली हाथ नहीं भेजा।
किताब में लिखा गया है कि संजय दत्त ने जेल में मजदूरी कर जो कमाया था उसे बहन के हाथों में देकर कहा था कि ‘बस मेरे पास ये एक चीज है जो मैं तुम्हें दे सकता हूं। संजय दत्त ने प्रिया को 2 रुपए का कूपन दिया था जो कि उन्हें जेल में काम करने के बाद मेहनताने के तौर पर मिला था।
परिवार के लिए काफी इमोशनल था प्रिया ने बताया था कि वो वक्त हमारे परिवार के लिए काफी इमोशनल था। संजू के दिए उस कुपन को देखकर मै बहुत रोई थी। वो कूपन मैंने हमेशा के लिए संजोकर रख लिया। संजय दत्त के पिता सुनील दत्त भी ये सब देखकर बेहद दुखी हो गए थे। उस रात संजय के पिता सुनील दत्त सारी रात वहीं सोए थे।
बताया जाता हैं सुनील दत्त अपने कमरे का एसी ऑन नहीं करते थे और जमीन पर सोते थे। उन्हें लगता था कि उनका बेटा संजू इस वक्त किस परेशानी से गुजर रहा है। तो उन्हें कैसे चैन मिल सकता है।