अपनी एक तस्वीर के साथ सुशांत सिंह राजपूत ने अहमद फराज की कुछ लाइनें लिखी हैं। “यूंही मर मर के जिएं वक़्त गुज़ारे जाएं, ज़िंदगी हम तिरे हाथों से न मारे जाएं…अब ज़मीं पर कोई गौतम न मोहम्मद न मसीह, आसमानों से नए लोग उतारे जाएं…वो जो मौजूद नहीं उस की मदद चाहते हैं, वो जो सुनता ही नहीं उस को पुकारे जाएं…हम कि नादान जुआरी हैं सभी जानते हैं, दिल की बाज़ी हो तो जी जान से हारे जाएं।” उनकी इस पोस्ट पर अब लोग कमेंट कर रहे हैं कि आपके कैप्शन का असली मतलब कोई समझा ही नहीं। कोई लिखता है कि सर ये कैप्शन बहुत कुछ कहता है।