बॉडी डबल का यूज पसंद नहीं था दरअसल बॉलीवुड में कई ऐसे एक्टर हैं, जो स्क्रीन पर बॉडी डबल का इस्तेमाल करना पसंद नहीं करते हैं और खुद ही मुश्किल सीन करने की कोशिश करते हैं। ऐसे ही दिलीप कुमार साहब थे, उन्हें भी बॉडी डबल का यूज पसंद नहीं था। उनका कहना था जह मेरा काम बॉडी डबल कर लेगा तो, मेरा क्या काम है।
ऐसा ही एक वाकया 1959 में आई दिलीप कुमार की फिल्म कोहिनूर से जुड़ा है। जिसके बारे में फिल्म के संगीतकार नौशाद अली ने अपने एक इंटरव्यू में बताया था। नौशाद अली ने बताया था कि इस फिल्म का एक गाना ‘मधुबन में राधिका नाचे रे…शूट किया जाना था। ये गाना आज भी लोगों को उतना ही पसंद है जितना की पहले हुआ करता था। जब ‘मधुबन में राधिका’ गाने की शूटिंग की जा रही थी तो, मेकर्स ने सलाह दी कि इस गाने में दिलीप कुमार का बॉडी डबल चाहिए होगा।
नौशाद अली ने बताया था कि दिलीप कुमार ने इस पर ऐतराज जताया और कहा कि वह अपने सीन खुद करेंगे। लेकिन दिलीप कुमार को बताया गया कि ये गाना एक क्लासिकल सॉन्ग है। गाने में एक जगह वो सितार बजाते हुए दिखाए जाएंगे, जो कि उन्हें नहीं आता है। ऐसे में डायरेक्टर एसयू सनी ने कहा था कि बिना बॉडी डबल के बगैर काम नहीं चल पाएगा। इसके बाद भी दिलीप कुमार ने कहा कि वो ये सीन खुद करेंगे और निर्देशक को उनकी बात माननी ही पड़ी।
ऐसे में तय हुआ कि दिलीप कुमार ही सितार बजाएंगे, लेकिन क्लोज शॉट में वादक की उंगलियों के शॉट डाल दिए जाएंगे। दिलीप कुमार ने जब ये सुना तो दोबारा अड़ गए और बोले कि जब ऐसा ही करना है तो मेरी क्या जरूरत? दिलीप कुमार ने कहा कि ये क्लोजअप भी वो खुद देंगे।
2 से 3 महीने सितार को दिए ऐसे में दिलीप कुमार ने 2 से 3 महीने सितार को दिए और रियाज किया। इस तरह एक गाने के एक शॉट को पूरा करने में 3 महीने लग गए। गाना शूट करने के बाद दिलीप साहब खाना खाने चले गए था। जब नौशाद उनके पास आकर बैठे तो उन्होंने देखा कि दिलीप कुमार की उंगलियों में टेप लगी हुई हैं। जब उनसे पूछा गया तो दिलीप साहब ने बताया कि सितार बजाते वक्त उनकी उंगलियां खून से लथपथ हो हो गई थीं। ऐसे में कटी उंगलियों पर टेप लगाना पड़ा।