एक्टिंग करने को बेताब थे धर्मेंद्र दरअसल एक टैलेंट हंट प्रतियोगिता के माध्यम से धर्मेंद्र ने बॉलीवुड में एंट्री की थी। एक्टिंग प्रतियोगिता जीतने के बाद उन्हें गुरुदत्त, विमल रॉय जैसे बड़े निर्माताओं ने अपनी फिल्मों के लिए साइन भी कर लिया था। लेकिन एक्टिंग करने को बेताब धर्मेंद्र को उनकी पहली फिल्म मिली ‘दिल भी तेरा, हम भी तेरे।
इस फिल्म को निर्देशित रहे अर्जुन हिंगोरानी धर्मेंद्र के दोस्त बन गए थे। लेकिन इस फिल्म के निर्माता धर्मेंद्र के सामने शर्त रखी थी कि उन्हें इस फिल्म के लिए उनकी पूरी कमाई का 60 प्रतिशत ही मिलेगा और वो बिना इजाजत किसी और की फिल्म साइन नहीं कर सकते। अगर फिर भी वो किसी अन्य निर्माता की फिल्म करते हैं तो उन्हें उस फिल्म से होने वाली कमाई का 50 प्रतिशत निर्माता को देना होगा। धर्मेंद्र ने बिना पैसों की परवाह किए इस मुश्किल शर्त को मान लिया और शूटिंग करने लगे।
इसी बीच धर्मेंद्र से निर्देशक रमेश सहगल ने अपनी फिल्म, ‘शोला और शबनम’ के लिए अप्रोच किया। इस ऑफर को सुनकर धर्मेंद्र खुश हुए, लेकिन यहां भी उन्हें उसी शर्त का सामना करना पड़ा। जब धर्मेंद्र ने अपने दोस्त अर्जुन हिंगोरानी से इस बारे में बताया तो, उन्होंने धर्मेंद्र को बिहारी मसंद के शर्त की याद दिलाई और कहा कि ‘तुम दूसरी फिल्म कर रहे हो? इसका अंजाम जानते हो?
मुझे बस फिल्मों में काम करना है जिसके जवाब में धर्मेंद्र ने कहा था कि ‘अंजाम क्या होना है। दोनों को कमाई का आधा आधा हिस्सा दे दूंगा। जब उनसे कहा गया कि उनके पास भी तो कुछ पैसे बचने चाहिए तब धर्मेंद्र ने कहा था, ‘मुझे तो बस फिल्मों में काम करना है, पैसे नहीं बचे तो भी क्या हुआ। फिल्म तो बनकर रिलीज हो जाएगी। इस तरह शुरूआत में बिना पैसो की परवाह किए फिल्में कीं।
धर्मेंद्र पहली फिल्म ‘दिल भी तेरा हम भी तेरे’ साल 1960 में और दूसरी ‘शोला और शबनम’ इसके अगले ही साल आई थी। आपको बता दें कि धर्मेंद्र के करियर को आयाम देने में अभिनेत्री मीना कुमारी का बड़ा हाथ रहा।