हम काम के लिए, मीटिंग के लिए, स्क्रीन टेस्ट के लिए या आम तौर पर बाहर निकलने के आदी होते हैं। ऐसे में जैसे ही हमें बाहर ना निकलने को कहा गया, हम खुद को बंधा हुआ महसूस करने लगे, हमें बैचेनी महसूस हो रही है, लेकिन धीरे-धीरे हमारा शरीर और दिमाग इसे अपना लेगा।’
उन्होंने आगे कहा, ‘यह हमारे शरीर और दिमाग के लिए काफी अच्छा है, लेकिन इसे कुछ वक्त देना होगा और जब तक यह वक्त नहीं आता, तब तक शांत रहें और इस आपातकाल व जो भी कुछ बाहर हो रहा है, उसमें अपना तालमेल बनाए रखें।’