बॉलीवुड

मुंह मांगी फीस ना मिलने पर फिल्म छोड़ देते थे ‘मोगैम्बो’, इस वजह से बेटे को दूर रखा इंडस्ट्री से

फिल्मों में आने से पहले वे क्लर्क की नौकरी करते थे। सरकारी नौकरी छोड़कर वे फिल्मों में आए।

Jan 12, 2020 / 07:01 pm

Mahendra Yadav

Amrish puri

बॉलीवुड के सबसे खतरनाक विलेन अमरीश पुरी की आज पुण्यतिथी है। फिल्मों में आने से पहले वे क्लर्क की नौकरी करते थे। सरकारी नौकरी छोड़कर वे फिल्मों में आए। ‘मोगैम्बो खुश हुआ’, ‘जा सिमरन जा जी ले अपनी जिंदगी’ जैसे डायलॉग आज भी लोगों के बीच फेमस हैं। उन्होंने अपने कॅरियर की शुरुआत 90 के दशक में की थी। उस वक्त वे पॉजिटिव किरदार निभाते थे लेकिन सफलता उन्हें नेगेटिव किरदारों से ही मिली। इंडस्ट्री में उन्होंने वो मुकाम हासिल कर लिया था कि अगर उन्हें मुंह मांगी फीस नहीं मिलती थी तो वे फिल्म छोड़ दिया करते थे।

 

साल 1998 के एक इंटरव्यू में इस बात का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया था,’एन. एन. सिप्पी की एक फिल्म उन्होंने सिर्फ इसलिए छोड़ दी थी, क्योंकि उन्हें मांग के मुताबिक 80 लाख रुपए नहीं दिए जा रहे थे।’ उनका कहना था-जो मेरा हक है, वो मुझे मिलना चाहिए। मैं एक्टिंग के साथ कोई समझौता नहीं करता तो फिल्म के लिए कम पैसा स्वीकार क्यों करूं। लोग मेरी एक्टिंग देखने आते हैं। प्रोड्यूसर्स को पैसा मिलता है, क्योंकि मैं फिल्म में होता हूं तो क्या उनसे मेरा चार्ज करना गलत है?

 

मुंह मांगी फीस ना मिलने पर फिल्म छोड़ देते थे 'मोगैम्बो', इस वजह से बेटे को दूर रखा इंडस्ट्री से

अमरीश पुरी ने बॉलीवुड में ऊंचाईयों को छुआ लेकिन अपने बेटे को इससे दूर रखा। एक इंटरव्यू में उनके बेटे राजीव पुरी ने फिल्मों में न आने के सवाल पर कहा था, ‘उस वक्त बॉलीवुड की स्थिति अच्छी नहीं थी तो उन्होंने मुझे कहा कि यहां मत आओ और जो अच्छा लगता है वो करो। तब मैं मर्चेंट नेवी में गया।’ राजीव के मुताबिक अमरीश पुरी ने उन पर कभी अपनी मर्जी नहीं थोपी।

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