फिल्म के लिए मजदूरों ने दिए पैसे
वर्ष 1977 एक्ट्रेस के सिने कॅरियर में अहम पड़ाव साबित हुआ। इस वर्ष उनकी फिल्में ‘भूमिका’ और ‘मंथन’ प्रदर्शित हुईं। दुग्ध क्रांति पर बनी फिल्म मंथन’ में स्मिता के अभिनय ने नए रंग दर्शको को देखने को मिले। इस फिल्म के निर्माण के लिए गुजरात के लगभग पांच लाख किसानों ने अपनी प्रतिदिन की मिलने वाली मजदूरी में से दो-दो रुपये फिल्म निर्माताओं को दिए। फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट साबित हुई। इसी वर्ष उनकी फिल्म भूमिका भी रिलीज हुई। इसमें एक्ट्रेस ने मराठी रंगमच की अभिनेत्री हंसा वाडेकर का किरदार निभाया। इसके लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 1980 में उन्हें फिल्म ‘चक्र’ के लिए दूसरी बार राष्ट्रीय पुरस्कार मिला।
किया कमर्शियल फिल्मों की तरफ रुख
अस्सी के दशक में स्मिता ने व्यावसायिक सिनेमा की ओर भी अपना रुख कर लिया। इस दौरान उन्हें सुपरस्टार अमिताभ बच्चन के साथ ‘नमक हलाल’ और ‘शक्ति’ जैसी फिल्मों में काम करने का अवसर मिला। इन फिल्मों की सक्सेस ने उन्हें कमर्शियल फिल्मों में भी स्थापित कर दिया।
बोल्ड सीन देकर रोई थीं पूरी रात
फिल्म ‘नमक हलाल’ में स्मिता ने अमिताभ के साथ एक गाने की शूटिंग के बाद आगे शूटिंग करने से मना कर दिया था। दरअसल फिल्म का सॉन्ग ‘आज रपट जाएं तो’ में एक्ट्रेस को बारिश में शूट करना था। वे पूरी तरह से भीग गई थीं। उन्हें लगा कि उनके फैंस को यह पसंद नहीं आएगा। इस गाने की शूटिंग के बाद स्मिता बहुत रोई और आगे काम करने से इंकार कर दिया। अमिताभ के काफी समझाने के बाद उन्होंने फिल्म की शूटिंग पूरी की।