फायर
बॅालीवुड की मशहूर एक्ट्रेसेस शबाना आजमी और नंदिता दास की यह फिल्म साल 1996 में रिलीज हुई थी। यह इस दौर की पहली ऐसी फिल्म थी जिसमें होमोसेक्सुएलिटी को दर्शाया गया था। इस फिल्म का उन दिनों कड़ा विरोध किया गया था।
प्रेम रोग
ऋषि कपूर और पद्मिनी कोल्हापुरे की फिल्म ‘प्रेम रोग’ उन दिनों की सबसे हिट फिल्मों में से एक रही थी। यह फिल्म एक विधवा की कहानी थी। उन दिनों किसी विधवा औरत का वापस शादी करना पाप माना जाता था। लेकिन इस फिल्म में ऐसा कुछ दिखाया गया, जिसके बाद कई लोगों का इस मुद्दे पर नजरिया बदला।
क्या कहना
बॅालीवुड एक्ट्रेस प्रीति जिंटा की फिल्म ‘क्या कहना’ एक बहुत ही अलग विषय पर आधारित थी। इस फिल्म में प्रीति जिंटा शादी से पहले प्रेग्नेंट हो जाती है। सारा समाज उसे कोसता है, लेकिन ऐसी हालत में भी वह कॅालेज जाती हैं और अपनी पढ़ाई पूरी करती हैं। पहले कभी इस तरह के विषय पर फिल्म नहीं बनाई गई थी।
अलीगढ़
इस फिल्म में मनोज बाजपई ने मुख्य किरदार अदा किया था। फिल्म की कहानी होमोसेक्सुएलिटी पर आधारित थी। यह कहानी यूपी के एक विश्वविद्यालय की सच्ची घटना पर आधारित थी। जिसमें श्रीनिवास रामचन्द्र सिरस मराठी पढ़ाते थे। लेकिन जब उनके समलैंगिक होने का पता चलता है तो उन्हें वहां से हटा दिया जाता है। इस फिल्म को लेकर कई विवाद खड़े हुए थे।
फुल्लू
इस फिल्म की कहानी एक गांव की उन महिलाओं पर आधारित थी जो आज भी नहीं जानते की सेनेटरी नैपकिन लगाने के क्या फायदे हैं। यह मूवी महिलाओं की माहवारी की समस्या और सेनेटरी नैपकिन जैसे मुद्दों पर आधारित थी।