सुनील दत्त जितनी शानदार एक्टर थे उतने ही दमदरा फिल्म प्रोड्यूसर, डायरेक्टर और राजनेता भी थे. सुनील दत्त का जन्म 6 जून 1929 को नाका खुर्द, पंजाब के झेलम जिले में हुआ था. वो एक ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखते थे. उनका अलसी नाम बलराज दत्त था. सुनील अपने परिवार के साथ हरियाणा के यमुना नगर स्थित मंडोली गांव में भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के बाद आकर बस गए थे और घर खर्च चलाने के लिए वो एक ट्रांसपोर्टेशन कंपनी ‘B.E.S.T’ में नाइट शिफ्ट की नौकरी किया करते थे. सुनील दत्त ने अपने कॉलेज टाइम में थिएटर में दिलचस्पी दिखाई.
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सुनिल दत्त की आवाज इतनी दमदार थी कि लोग सुनते ही उनसे इम्प्रेस हो जाया करते थे और उनकी उर्दू पर काफी मजबूत पकड़ थी. इसी बीच उनके एक प्ले के दौरान सुनील की आवाज से इम्प्रेस होकर रेडियो प्रोग्रामिंग हेड ने उन्हें रेडियो चैनल में नौकरी का ऑफर दिया, जिसके लिए उन्होंने हां कह दी और उस समय उनको रेडियो में काम करने के लिए 25 रुपए मिला करते थे. ऐसा कहा जाता है कि रेडियो में काम करते हुए उन्होंने एक बार एक्ट्रेस नरगिस (Nargis) का भी इंटरव्यू लिया था. हालांकि, उस समय दोनों ही नहीं जानते थे कि वो भविष्य में एक दूसरे के हो जाएंगे.
बताया जाता है कि नरगिस का इंटरव्यू लेते समय सुनील दत्त इस इतने नर्वस हो गए थे कि वो उनसे कोई सवाल ही नहीं पूछ पाए, जिसके बाद नरगिस ने उनको शांत करवाया, तब जाकर उनका इंटरव्यू हो सका. वहीं दिलीप कुमार (Dilip Kumar) का इंटरव्यू लेने पहुंचे सुनील दत्त पर डायरेक्टर समेश सहगल की नजर पड़ी और उन्होंने सुनील को स्क्रीन टेस्ट देने के लिए कहा. साथ ही अपनी अगली फिल्म ‘रेल्वे प्लेटफॉर्म’ का ऑफर दिया. इसक फिल्म के बाद सुनील ने ‘कुंदन’, ‘एक ही रास्ता’, ‘राजधानी’, ‘किस्मत का खेल’ जैसी फिल्मों में काम किया, लेकिन साल 1957 की फिल्म ‘मदर इंडिया’ से उनको पहचान और नरगिन दोनों मिले.