बचपन में उनका नाम हेमा मंगेशकर रखा गया था, लेकिन 5 साल की उम्र होने के बाद उनका नाम उनके पिता ने बदलकर लता रख दिया था जिसके बाद उन्हें लता मंगेशकर के नाम से ही जाना जाने लगा। उन्होंने अपने संगीत की प्रारंभिक शिक्षा अपने पिता पंडित दीनदयाल मंगेशकर से ही ली थी। जब वो 13 साल की थी तभी उनके पिता पंडित दीनदयाल जी का निधन हो गया। उनके पिता के निधन के बाद घर की पूरी जिम्मेदारी उन पर आ गई।
उनके पिता पंडित दीनदयाल मंगेशकर एक कुशल रंगमंचीय गायक थे। दीनानाथ जी ने लता जी को तब से संगीत सिखाना शुरू किया, जब वे पाँच साल की थी। उनके साथ उनकी बहनें आशा, ऊषी और मीना भी सीखा करतीं थीं। लता ‘अमान अली खान साहिब’ और बाद में ‘अमानत खान’ के साथ भी पढ़ीं। लता मंगेशकर हमेशा से ही ईश्वर के द्वारा दी गई सुरीली आवाज, जानदार अभिव्यक्ति व बात को बहुत जल्द समझ लेने वाली अविश्वसनीय क्षमता का उदाहरण रहीं हैं। इन्हीं विशेषताओं के कारण उनकी इस प्रतिभा को बहुत जल्द ही पहचान मिल गई थीं।
लता दीदी ने पाँच वर्ष की छोटी आयु में ही पहली बार एक नाटक में अभिनय किया था। उनका शुरुआती सफर भले हीं अभिनय से शुरू हुआ था मगर उनकी दिलचस्पी संगीत में ही थी। उनके पिता के मृत्यु के बाद वर्ष 1942 में नवयुग चित्रपट फिल्म कंपनी के मालिक और इनके पिता के दोस्त मास्टर विनायक (विनायक दामोदर कर्नाटकी) ने इनके परिवार को संभाला और लता मंगेशकर को एक सिंगर और एक्ट्रेस बनाने में मदद की। इसी वर्ष उन्होंने एक मराठी फिल्म के लिए गाना रिकॉर्ड किया। फिल्म रिलीज हुई लेकिन किसी वजह से फिल्म से उस गाने को हटा दिया गया, इस बात से लता दीदी बहुत आहत हुईं।
1945 में लता दीदी मुंबई आ गई और अमानत अली खान से ट्रेनिंग लेने लगी। फिर उन्होंने 1947 में हिंदी फिल्म ‘आप की सेवा में’ के लिए एक गाना गाया, मगर वहां उन्हें ज्यादा पहचान नहीं मिली। उस वक्त में नूर जहान, शमशाद बेगम,जोह्राभई अम्बलेवाली का इंडस्ट्री में दबदबा था, उनकी आवाज भारी व अलग थी, जिसके सामने लता दीदी की आवाज काफी पतली और दबी हुई लगती थी। 1949 में उन्होंने लगातार 4 हिट फिल्मों में गाने गाए और जिसके बाद उन्हें इंडस्ट्री में पहचान मिलनी शुरु हो गई। बरसात, दुलारी, अंदाज व महल जैसी फ़िल्में हिट रही थी, इसमें से महल फिल्म का गाना ‘आएगा आनेवाला’ सुपर हिट हुआ और लता जी ने अपने पैर हिंदी सिनेमा में जमा लिए। इस गाने के बाद उनके प्रशंसकों की संख्या दिनोदिन बढ़ने लगी।
इसी बीच उन्होंने कई प्रसिद्ध संगातकारों के साथ काम किया। गीत, गजल, भजन, संगीत के हर क्षेत्र में उन्होंने अपनी कला बिखेरी, चाहे गीत शास्त्रीय संगीत पर आधारित हो, पाश्चात्य धुन पर आधारित हो या फिर लोक धुन की खुशबू में रचा-बसा हो, उनकी आवाज के जादू से वो ऐसे प्रतीत होते थे जैसे जीवंत रूप में पेश किया जा रहा हो, उनकी आवाज से मंत्रमुग्ध हो जाते थे।
जब 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिये एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था, इस में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू भी उपस्थित थे। इस समारोह में लता जी के द्वारा गाए गये गीत ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ को सुन कर सब लोग भाव-विभोर हो गये थे। पं नेहरू की आँखें भी भर आईं थीं। आज भी जब देश-भक्ति के गीतों की बात चलती है तो सब से पहले इसी गीत का उदाहरण दिया जाता है, उस वक्त लता दीदी के मर्मस्प्रशी स्वर ने सबको भावविभोर कर दिया था।
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भारतीय सिनेमा में लता जी की आवाज ने जो जादू बिखेरा है, वह सदियों तक याद रखा जाएगा। शायद ही कोई हो जो उनके गाने न सुनना चाहता हो। लता जी की आवाज में के जादू की वजह से ही उन्हें स्वर कोकिला भी कहा जाता है। साल 2001 में लता जी को सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया था।
आज यानी की 6 फरवरी को फिल्म जगत की स्वर कोकिला कही जाने वाली सिंगर लता मंगेशकर अब हमारे बीच नहीं रही हैं। रविवार को मुंबई के एक अस्पताल में 92 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया। उनके चले जाने से देश में शोक की लहर दौड़ पड़ी है। आम लोगों के साथ बॉलीवुड सेलेब्स भी सदमे में हैं। सोशल मीडिया पर रिएक्शन्स की बाढ़ सी आ गई है। इंडस्ट्री से जुड़े लोग और लता मंगेशकर के साथ काम कर चुके कलाकार उनकी आत्मा की शांति की दुआ कर रहे हैं। लता मंगेशकर के निधन पर दो दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की गई है। इस दौरान राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा और उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा।
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